रतन  टाटा - सफलता  की  एक  अनोखी  मिसाल 


टाटा  समूह  आज  दुनिया  की  सबसे  बड़ी  कंपनियों  में  से  एक  है  इसका  इतिहास  न  केवल  साझेदारी  और रणनीतिक  निवेश  को  दर्शाता  है  बल्कि  वैश्विक  स्तर  पर  विभिन्न  उद्योगों  में  एक  अलग  पहचान  की  झलक भी  दिखाई  पड़ती  है।  यूं  ही  नहीं  टाटा  समूह  को  भारत  का  'राष्ट्रीय  गौरव'  कहा  जाता  है,  भारत  का  सबसे बड़ा  और  सबसे  पुराना  समूह  है  जो  देश  की  अर्थव्यवस्था  और  विकास  में  अहम  भूमिका  निभाता  है।  वो शख्स,  जिन्होंने  टाटा  की  नींव  रखी  उनका  मानना  था  कि  भारत  को  आत्मनिर्भर  बनाने  के  लिए  उसे औद्योगिक  रूप  से  मजबूत  होना  होगा  - जमशेदजी  नुसरवानजी  टाटा



टाटा  समूह  का  इतिहास  काफी  पुराना  और  समृद्ध  है,  इसकी  स्थापना  वर्ष  1868  में  जमशेदजी  टाटा  ने  की  थी।  इसकी  शुरुआत  एक  व्यापार  के  रूप  में  हुई  और  आगे  चलकर  कई  क्षेत्रों  में  इसका  विस्तार हुआ।  जमशेदजी  टाटा  ने  टाटा  कंपनी  की  शुरुआत  इक्कीस  हजार  रुपए  की  पूंजी  से  की  थी।  टाटा  समूह एक  अंतरराष्ट्रीय  व्यवसाय  समूह  है  जिसके  उत्पाद  और  सेवाएं  150  से  अधिक  देशों  में  मौजूद  है।  आज टाटा  समूह  छः  महाद्वीपों  के  100  से  अधिक  देशों  में  फैला  हुआ  है  जो  ऑटोमोबाइल,  रसायन,  ऊर्जा, इंजीनियरिंग,  वित्तीय  सेवाएं  और  सूचना  प्रणाली  समेत  30  से  अधिक  कंपनियों  का  संचालन  करता  है। 

रतन  टाटा - भारतीय  उद्योगपति,  परोपकारी  और  टाटा  संस  के  पूर्व  अध्यक्ष  जिन्होंने  अपना  सर्वस्व  टाटा समूह  को  न्योछावर  कर  दिया।  शिक्षा,  स्वास्थ्य  सेवा  और  ग्रामीण  विकास  जैसे  कई  क्षेत्रों  में  इनका  योगदान रहा  है।  भारत  के  'रत्न'  कहे  जाने  वाले  रतन  नवल  टाटा  इस  दुनिया  को  अलविदा  कह  चुके  हैं  लेकिन उनके  काम  से  लोग  उन्हें  आज  भी  याद  करते  है |

रतन  टाटा  की  जीवन  यात्रा 

रतन  टाटा  का  जन्म  28  दिसंबर  1937  को  मुंबई  में  नवल  टाटा  और  सूनी  टाटा  के  घर  हुआ  था।  रतन टाटा  ने  अपनी  प्रारंभिक  शिक्षा  मुंबई  के  कैंपियन  स्कूल  और  कैथेड्रल  एंड  जॉन  कॉनन  स्कूल  में  प्राप्त  की। साल 1962  में  उन्होंने  काॅर्नेल  विश्वविद्यालय  से  आर्किटेक्चर  में  स्नातक  की  डिग्री  प्राप्त  करने  के  बाद  1975  में हार्वर्ड  बिजनेस  स्कूल  से  एडवांस  मैनेजमेंट  प्रोग्राम  पूरा  किया।  सर  रतन  टाटा  ऐसे  शख्स  थे  जिन्हें  किसी पहचान  की  जरूरत  नहीं  थी  क्योंकि  उन्होंने  अपनी  सादगी  और  परोपकार  की  भावना  से  लोगों  को  जीत लिया  था।



रतन  टाटा  की  विशेष  उपलब्धियां 


टाटा  समूह  का  नेतृत्व

  • 1991  में  वे  टाटा  समूह  की  कमान  संभाली | 

  • उन्होंने  100  से  ज्यादा  कंपनियों  वाले  विशाल  समूह  को  एकजुट  किया।

  • ग्रुप  को  आधुनिक  और  ग्लोबल  बनाया।


विदेशी  कंपनियों  का  स्वामित्व  लिया 

  • टाटा  टी  ने  ब्रिटेन  की  टेटली  टी  खरीदी।

  • टाटा  स्टील  ने  यूरोप  की  कोरस  कंपनी  खरीदी।

  • टाटा  मोटर्स  ने  जगुआर  और  लैंड  रोवर  जैसे  लग्जरी  कार  ब्रांड  खरीदे।


 दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाई  -  नैनो  कार 

 टाटा मोटर्स को बदला और मजबूत किया

  • एक  समय  था  जब  टाटा  मोटर्स  केवल  ट्रक  बनाती  थी,  लेकिन  आज  उसकी  NEXON  और HARRIER  जैसी  कारों  की  बिक्री  वैश्विक  स्तर  पर  होती  है।


 TCS को दुनिया की टॉप IT कंपनियों में बनाया

  • टाटा  कंसल्टेंसी  सर्विसेज  (TCS)  को  मजबूत  किया।
     TCS  भारत  की  सबसे  बड़ी  और  सबसे  मुनाफे  वाली  आईटी   कंपनी  बनी।

टाटा  समूह  में  कदम  रखने  का  सफ़र 

रतन  टाटा  ने  1962  में  टाटा  समूह  में  काम  करना  शुरू  किया।  उनकी  पहली  नौकरी  टाटा  स्टील  के  शॉप फ्लोर  में  थी,  जहाँ  वे  मजदूरों  के  साथ  काम  करते  थे, भारी  मशीनरी  चलाते  थे  और  मैनेजमेंट  की  बारीकियां  सीखते  थे।
समय  के  साथ  चलते  चलते  उन्होंने  टाटा  समूह  के  शिखर  को  प्राप्त  किया  1991  में  जे.आर.डी  टाटा  के सेवानिवृत्त  होने  के  बाद  उनकी  नियुक्ति  अध्यक्ष  के  तौर  पर  हुई  थी  और  साल  1991  से  2012  तक  टाटा समूह  के  अध्यक्ष  पद  पर  रहे।  इसके  साथ  ही  टाटा  समूह  के  विविध  व्यावसायिक  क्षेत्रों  रतन  टाटा  ने प्रभावशाली  नेतृत्व  प्रदान  किया  जैसे -


  • टाटा  मोटर्स,  टाटा  स्टील 
  • टाटा  कंसल्टेंसी  सर्विसेज 
  • टाटा  पावर,  टाटा  केमिकल्स 
  • टाटा  ग्लोबल  बेवरेजेज 
  • इंडियन  होटल्स  एवं  टाटा  टेलीसर्विसेज 
  • एलाइड  ट्रस्ट्स 
  • सर  दोराबजी  टाटा  ट्रस्ट्स 
  • टाटा  इंस्टीट्यूट  ऑफ  फंडामेंटल  रिसर्च 

रिटायरमेंट  के  बाद  निवेश 


ओला  (Ola)

  • भारतीय राइड-हेलिंग कंपनी।
  • उन्होंने ओला में व्यक्तिगत निवेश किया और बोर्ड सलाहकार भी बने।

पेटियम  (Paytm)

  • मोबाइल पेमेंट और फाइनेंस प्लेटफॉर्म।

  • शुरुआती दौर में ही निवेश किया।

Snapdeal

  • भारतीय ई-कॉमर्स स्टार्टअप।

  • शुरुआती निवेशक रहे।

लेंस्कार्ट  (Lenskart)

  • ऑनलाइन चश्मे और लेंस बेचने वाली कंपनी।

  • व्यक्तिगत निवेश।

क्योरफिट  (CureFit)
  • फिटनेस और हेल्थ स्टार्टअप।

फर्स्टक्राई  (FirstCry)

  • बच्चों के उत्पादों की ऑनलाइन दुकान।


रतन  टाटा  की  उपलब्धियां  ही  इनके  संघर्ष  को  बयां  करती  हैं।  भारतीय  उद्योग  को  सफल  तथा  मजबूत बनाने  का  श्रेय  सर  रतन  टाटा  को  जाता  है।  उन्हें  1971  में  नेशनल  रेडियो  और  इलेक्ट्रॉनिक्स  कंपनी  का निदेशक  बनाया  गया।  अपने  जीवनकाल  में  उन्होंने  कई  उपलब्धियां  हासिल  की  जैसे  -  टाटा  कंसल्टेंसी सर्विसेज  को  वैश्विक  स्तर  तक  पहुंचाना,  टेटली  टी,  जैगुआर  लैंड  रोवर,  कोरस  और  उन्होंने  नैनो  कार  की संकल्पना  प्रस्तुत  की।  नैनो  कार  की  अवधारणा  से  औसत  भारतीय  की  कारों  तक  पहुंच  आसान  हो  गई।


दानी  एवं  परोपकारी 

टाटा  ट्रस्ट्स  के  माध्यम  से  स्वास्थ्य  स्वच्छता,  जल  प्रबंधन  और  कई  अन्य  क्षेत्रों  में  उनका  समर्पण  रहा  हैं।  कोविड-19  महामारी  के दौरान  भी  उन्होंने  अहम  भूमिका  निभाई |

मार्च  2020  में  जब  कोविड-19  की  शुरुआत  हुई  थी,  रतन  टाटा  ने  टाटा  ट्रस्ट्स  की  ओर  से  500  करोड़ रुपये  की  सहायता  राशि  की  घोषणा  की।  यह  उस  समय  भारत  में  किसी  भी  कॉर्पोरेट  समूह  की  सबसे बड़ी  सहायता  थी।

यह  राशि  इन  कामों  में  खर्च  की  गई:

  • पर्सनल  प्रोटेक्टिव  इक्विपमेंट  (PPE)  किट  डॉक्टरों  और  स्वास्थ्यकर्मियों  के  लिए

  • एन95  मास्क  और  टेस्टिंग  किट  की  खरीद  में

  • वेंटिलेटर  की  आपूर्ति


कोविड-19  रिसर्च  और  हेल्थ  इन्फ्रास्ट्रक्चर  में  निवेश

  • वेंटिलेटर  के  निर्माण  में  मदद  की।

  • वायरस  के  प्रसार  को  समझने  और  रोकने  के  लिए  डेटा  एनालिटिक्स  में  सहयोग  किया।

  • मेडिकल  स्टाफ  की  ट्रेनिंग  में  भी  सहायता  की।





रतन  टाटा  केवल  एक  उद्योगपति  नहीं,  बल्कि  एक  विचार  हैं।  उन्होंने  साबित  किया  कि  नेतृत्व  में  करुणा, नैतिकता  और  दूरदर्शिता  का  कितना  महत्व  है।

उनका  जीवन  हमें  सिखाता  है  कि  असली  सफलता  केवल  धन  में  नहीं,  बल्कि  उस  विरासत  में  होती  है  जो  शुरू  से  ही  हमसे  जुड़े  होते  हैं |

"मैं  उन  चीजों  को  लेकर  कभी  पछतावा  नहीं  करता  जो  मैंने  की  हैं।  मैं  उनसे  सीखता  हूं।"


पुरस्कार  और  सम्मान 

  • पद्म  भूषण  (2000)
  • कार्नेगी  पदक (2007, परोपकार  के  लिए)
  • पद्म  विभूषण  (2008) 
  • ऑनरेरी  नाइट  कमांडर  ऑफ  द  ईयर  (2009)  
  • लाइफटाइम  अचीवमेंट  अवॉर्ड  (2012)
 
9  अक्टूबर  2024  को  86  वर्ष  की  आयु  में  सर  रतन  टाटा  ने  इस  देश  को  अलविदा  कह  दिया  था |  उनकी मृत्यु  पर  भारत  सरकार  ने  शोक  मनाया  और  उन्हें  राजकीय  अन्त्येष्टि  दी  गई,  जिसमें  सैन्य  सम्मान  और 21  तोपों  की  सलामी  शामिल  थी








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