चिनाब रेलवे पुल : इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना
जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर शान से खड़ा चिनाब रेलवे पुल, सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है। यह अजूबा सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भारतीय इंजीनियरिंग के कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जो दुर्गम पहाड़ों के बीच भी कनेक्टिविटी संभव बनाता है। चिनाब नदी पर बना चिनाब रेलवे पुल, भारतीय इंजीनियरिंग का एक ऐसा बेजोड़ उदाहरण है जो बादलों को छूता हुआ प्रतीत होता है। ये पुल दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने और भारत की तरक्की को रफ्तार देने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
ये जम्मू कश्मीर में USBRL (उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला) लिंक परियोजना का एक अहम हिस्सा है|
इतिहास
कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफलता बिना संघर्ष और मेहनत के नहीं मिलती ठीक उसी तरह चिनाब पुल के निर्माण में कई रुकावटें और चुनौतियां आईं । चिनाब पुल का इतिहास काफी रोचक है , आइए शुरू से जानते हैं -
चिनाब पुल परियोजना को साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने स्वीकृति दे दी थी और इसी वर्ष इस परियोजना की नींव रखी गई। साल 2004 में चिनाब पुल के निर्माण का काम शुरू हुआ लेकिन 2008 में पुल की सुरक्षा और निर्माण तकनीकों को लेकर सामने आई चुनौतियों के कारण निर्माण कार्य को स्थगित कर दिया गया। साल 2010 में इसे फिर से शुरू किया गया और यहां से पुल के निर्माण में प्रगति देखने को मिली।
2017 में पुल का बेस बनकर तैयार हुआ और 2021 में विशाल आर्क का निर्माण पूरा हुआ।
अगस्त साल 2022 में चिनाब पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था और पहला सफलतापूर्वक परीक्षण जून 2024 में किया गया था। जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन का परीक्षण हुआ और 6 जून 2025 दिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चिनाब रेलवे पुल का शुभारंभ किया गया।
इसके डिजाइन और निर्माण कार्य में सर्वाधिक योगदान प्रोफेसर जी. माधवी लता का है। इनकी 17 साल की मेहनत के बाद दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनकर तैयार हुआ। डॉ. माधवी लता वर्तमान में IISC में एचएजी प्रोफेसर के रुप में कार्यरत हैं।
चिनाब पुल की मुख्य विशेषताएं
नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये पुल पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है।
पुल की लंबाई 1,315 मीटर है और इसके निर्माण में कुल 1,486 करोड़ रुपए की लागत आई है।
यह पुल -20 डिग्री सल्सियस तक के तापमान को और 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप को आसानी से झेल सकता है। इसके अलावा 260-266 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा को झेलने में सक्षम है।
इंजीनियर्स का दावा है कि इस पुल की उम्र 120 साल से अधिक रहेगी। चिनाब रेलवे पुल न सिर्फ विश्व का सबसे ऊंचा पुल है बल्कि ये इंजीनियरिंग कला का एक ऐसा नमूना है जो वास्तव में प्रशंसा योग्य है।
चिनाब नदी पर बना चिनाब पुल
बादलों को छूता विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी पर सलाल डैम के पास स्थित है। चिनाब नदी का उद्गम स्थल भारत के हिमाचल प्रदेश में बारालाचा -ला- दर्रा (लाहौल और स्पीति जिले में स्थित) के पास है।
चिनाब नदी दो नदियों के संगम से बनती है - चंद्रा और भागा
चंद्रा नदी बारालाचा -ला दर्रा के ग्लेशियरों से निकलती है और भागा नदी सूर्या ताल झील से निकलती है।
ये दोनों नदियां तांडी (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान पर मिलती है और वहीं से चिनाब नदी के रूप में जानी जाती है।
चिनाब की सहायक नदियां
चिनाब नदी की मुख्य सहायक नदियों में सोहल, थिरोट, भूत नाला, लिद्रारी, मियार नाला और मरुसुदर का नाम आता है। चिनाब की सबसे बड़ी सहायक नदी मरुसुदर है।
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