रामधारी सिंह दिनकर की प्रेरणादायक कविता 🤡🙏
विषय→वीर
सच है विपत्ती जब आती है , कायर को ही दहलाती है , सुरमा नही विचलित होते , क्षण एक नही धीरज खोते ,
विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटो की राह बनाते हैं ।
मुँह से न कभी उफ कहते हैं , संकट का चरण न गहते हैं , जो आ पड़ता सब सहते हैं , उद्योग-निरत नित रहते हैं ,
शूलों का मूल नसाते हैं , बढ़ खुद विपत्ती पर छाते हैं ।
है कौन विघ्न ऐसा जग में , टिक सके आदमी के मग में ? खम ठोक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़ ,
मानव जब जोर लगता है , पत्थर पानी बन जाता है ।
गुण बड़े एक से एक प्रखर , हैं छिपे मानवों के भीतर , मेहंदी में जैसे लाली हो , वर्तिका-बीच उजियाली हो ,
बत्ती जो नही जलाता है , रौशनी नहीं वह पाता है ।
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