चार धामों का महत्व

हिंदू धर्म में कई ऐसी यात्राएं हैं बहुत से ऐसे धाम हैं जहाँ पर दूर दूर से पर्यटक आते रहते हैं। कुछ यात्राओं के लिए नियम भी बनाए गए हैं। सदियों से चली आ रही ये परंपरा आज भी प्रचलित है। इसी तरह इस धर्म में चार ऐसे धाम हैं जिनकी यात्रा किए बिना जीवन को सफल नहीं माना जाता। तो कौन से हैं वो चार धाम क्या है उनका महत्व?? आईए जानते है चार धामों के बारे में...

भारत के पूर्व में जगन्नाथ धाम, पश्चिम में द्वारिका धाम, दक्षिण में रामेश्वरम धाम और उत्तर में बद्रीनाथ धाम स्थापित है।

1 - जगन्नाथ धाम

जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है जगत के नाथ यानी भगवान विष्णु हैं। जगन्नाथ मंदिर में प्रमुख प्रतिमा भगवान विष्णु की है साथ ही बलराम और सुभद्रा की मूर्तियाँ भी प्रतिष्ठित है। ये प्रतिमाएं चंदन की लकड़ी की बनी हुई है। जगन्नाथ ओडिशा में स्थित है। जगन्नाथ पुरी में मार्कंडेय, चंदन, पार्वती तालाब, श्वेत गंगा और इंद्रद्युम्न नाम के पंचतीर्थ हैं।


इस मंदिर के ऊपर एक ध्वज है जो हमेशा हवा के विपरित दिशा में लहराता है। ये मंदिर 4 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में फैला है। इसकी ऊँचाई 214 फीट है। जगन्नाथ धाम में दुनिया की सबसे बड़ी रसोईं है, यहाँ चाहे लाखों भक्त आ जाएं लेकिन भगवान का प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता। जगन्नाथ पुरी मंदिर की तीनों मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है अर्थात पुरानी मूर्तियों के स्थान पर नई मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और जिस समय मूर्तियों को बदला जा रहा होता है उस समय पूरे शहर को पूरी तरह से अँधेरा कर दिया जाता है।


जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने देह का त्याग किया तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनका पूरा शरीर पंचतंत्र में विलीन हो गया ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का हृदय एक जिंदा इंसान की तरह आज भी धड़क रहा है।

2 - द्वारिका धाम

द्वारिका धाम गुजरात में स्थित है। कहा जाता है कि मथुरा छोड़ने के बाद श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ द्वारिका आकर एक नई राजधानी बना लिए थे। लगभग आठवीं शताब्दी के आसपास आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए द्वारका की स्थापना की थी इससे ये बात साफ है कि द्वारिका के संस्थापक आदि शंकराचार्य जी है और तब से ये नगर भारत के चार धामों में गिना जाता है।


3 - रामेश्वरम धाम

इसे स्वामीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।जो कि तमिलनाडु में स्थित है। 12वीं सदी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने इस मंदिर का निर्माण किया था इसके बाद बहुत से राजा आए और इसके आगे का निर्माण करवाते गए । ये मंदिर 3.500 वर्षों में बनकर पूरा हुआ। यहाँ पर 22 कुंड तथा नव ग्रह वाला नवपाषनाम मंदिर भी है जिसे देवी पठनाम भी कहा जाता है।



4 - बद्रीनाथ धाम

हिंदू शास्त्र के अनुसार बद्रीनाथ की यात्रा के बिना सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी है। कुछ समय पहले यहाँ की यात्रा बहुत दुर्गम थी लेकिन अब भारत सरकार द्वारा अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। हिमालय के गड़वाल क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 3,122 मीटर की ऊँचाई पर लक्ष्मण गंगा और अलकनंदा के पास ही बद्रीनाथ धाम स्थित है। व्यास मुनि का जन्म भी यहीं हुआ था।


Post a Comment

और नया पुराने