न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय)
सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं।
न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ
अनुच्छेद 124 के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों के परामर्श द्वारा की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष है। भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे.कानिया थे।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यता
एक व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश तभी घोषित किया जा सकता है जब -
• वह भारत का नागरिक हो
• वह कम से कम 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय और दो या दो से अधिक न्यायालयों में जज रह चुका हो या फिर अधिकतम 10 वर्ष तक उच्चतम न्यायालय में वकील या अधिवक्ता के पद पर रह चुका हो।
न्यायधीश को हटाया जाना
• सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है। इसके लिए विशेष प्रस्ताव संसद के प्रत्येक सदन के संबोधन के बाद पारित किया जाता है।
• इस विशेष प्रस्ताव को न्यायाधीश के दुर्व्यवहार के आधार पर उसकी बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति को पेश किया जाता है।
• संसद को ये शक्तियाँ दी गई हैं कि वह एक संबोधन और एक न्यायाधीश के व्यवहार के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करे।
उच्च न्यायालय
संविधान के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा। वर्तमान समय में भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं। वर्ष 2013 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई तथा 2019 में तेलंगाना में उच्च न्यायालय की शुरुआत हुई।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ
1 - वह भारत का नागरिक हो।
2 - 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहा हो।
3 - उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष है।
4 - उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अपने पद से राष्ट्रपति को संबोधित कर कभी भी त्याग पत्र दे सकता है।
न्यायिक नियुक्ति आयोग
120वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों एवं मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान है। भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश तथा भारत के कानून मंत्री इसके सदस्य रहेंगे। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76)
महान्यायवादी सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है और वह उसके प्रसादपर्यंत पद ग्रहण करता है।
भारत का महान्यायवादी संसद या मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं होता है। महान्यायवादी बनने के लिए वही योग्यताएंँ होनी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती है।
लोक अदालत - कानूनी विवादों के समझौते के लिए लोक अदालत एक प्रकार का वैधानिक मंच है। सर्वप्रथम भारत के महाराष्ट्र राज्य में लोक अदालतों का निर्माण किया गया। यह लोक उपयोगी सेवाओं के विवादों से संबंधित है ताकि लोगों को न्याय मिल सके।
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