भारतीय न्याय संहिता
भारतीय न्याय संहिता भारत देश का एक आधिकारिक आपराधिक संहिता है | अंग्रेजों के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी - इंडियन पीनल कोड ) को हटाकर इसकी जगह पर भारतीय न्याय संहिता को दिसम्बर वर्ष 2023 में पेश किया गया था और 1 जुलाई 2024 से ये संहिता पूरे देश में लागू हो गयी है | जहाँ भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएँ थी, वहीँ भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएँ ही रह गयी हैं | भारतीय न्याय संहिता के बनने की कुछ प्रक्रिया थी जो निम्नलिखित है -
- 11 अगस्त वर्ष 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा सदन में भारतीय न्याय संहिता का विधेयक पेश किया था | फिर 12 दिसम्बर वर्ष 2023 को भारतीय न्याय संहिता का विधेयक वापस ले लिया गया लेकिन उसी दिन भारतीय न्याय संहिता का दूसरा विधेयक लोकसभा सदन में प्रस्तुत किया गया |
- 20 दिसम्बर वर्ष 2023 को भारतीय न्याय संहिता का दूसरा विधेयक लोकसभा सदन में पारित किया गया |
- 21 दिसम्बर वर्ष 2023 को भारतीय न्याय संहिता का दूसरा विधेयक राज्यसभा सदन में पारित किया गया |
- 25 दिसम्बर वर्ष 2023 को भारतीय न्याय संहिता के दूसरे विधेयक को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली |
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में, 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। इन नए अपराधों में मॉब लिंचिंग, घृणित अपराध, आर्थिक अपराध, विदेश से उकसाना, शादी का झूठा वादा, आतंकी कृत्य, डेटा चोरी, मानव तस्करी, यौन शोषण, घरेलू हिंसा, और नाबालिगों से दुष्कर्म शामिल हैं।
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