5G के फायदे और नुकसान

हर 10 साल में एक नई मोबाइल टेक्नोलॉजी आती है जो इसके लेवल को बहुत आगे ले जाती है। नई नई तकनीकों के आ जाने से हमारी जिंदगी और भी आसान होती जा रही है लेकिन अगर इन तकनीकों के हमें फायदा हो रहा है तो कहीं न कहीं नुक्सान भी हो रहा है।

सबसे पहले 1G आया जो 1980 में लांच किया गया था और 1G के ही वज़ह से सेलफोन पर बात हो पाती थी। 1G के बाद 2G आया जिसमें डिजिटल सिग्नल के द्वारा मैसेजेस और काॅल्स की सुविधा उपलब्ध थी। 2G पहली ऐसी टेक्नोलॉजी थी जहाँ पर प्राइवेसी को ज्यादा महत्व दिया गया। 1990 में 2G को लांच किया गया था।

3G (1998) - 3G ने टेक्नोलॉजी की दुनिया को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया। यहीं से दुनिया में इंटरनेट की शुरुआत हुई थी। 3G में एक नई कॉलिंग टेक्नोलॉजी आई थी जिसे आज वीडियो कॉल के नाम से जानते हैं।

2008 में 4G आया और इसके आने से इंटरनेट की स्पीड और भी बढ़ गई। स्पीड के साथ साथ HD tv और गेमिंग चैनल भी उपलब्ध हो गए। इसके बाद आया 5G जो 2019 में शुरू हुआ। ऐसा कहा जा रहा है कि 5G की स्पीड 4G से 100 गुना ज्यादा होगी और 5G नेटवर्क को "इंटरनेट ऑफ थिंग्स" कहा जायेगा क्योंकि बड़ी बड़ी कार से लेकर बाइक तक के हर चीजों में ये इस्तेमाल किया जाएगा।


लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि इंटरनेट पर बताई हुई कुछ चीजें सही नहीं होती। जैसे कहा जा रहा है कि 5G टेक्नोलॉजी की वजह से चीन वायरस की संख्या दिन पे दिन बढ़ती जा रही है। 4G हो या 5G, नेटवर्क रेडियो वेव्स पर काम करते हैं।

 पहले आपको बता दे कि मोबाइल नेटवर्क तीन चीजों से मिलकर बने होते हैं और अगर इन तीनों में से एक भी चीज अगर न हो तो मोबाइल नेटवर्क काम करना बंद कर देता है। मोबाइल नेटवर्क के तीनों पार्ट के बारे में नीचे बताया गया है।


1 - रेडियोएक्सेस नेटवर्क (Radioaccses network) - यही वो भाग है जिसकी वजह से आप नेटवर्क टावर से जुड़े होते हैं।


2 - कोर नेटवर्क (Core network) - ये मोबाइल नेटवर्क का सबसे जरूरी भाग होता है। यही वो पार्ट है जिसके जरिए हम अपनी बात एक दूसरे तक पहुँचा पाते हैं यानी मैसेज या काॅल कर पाते हैं।


3 - ट्रांसपोर्ट नेटवर्क (Transport network) - ये रेडियोएक्सेस नेटवर्क और कोर नेटवर्क को आपस में जोड़ने का काम करता है।


5G के नुक्सान और फायदे

● 5G नेटवर्क में 6 GIGA Hertz की वीडियो फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन परेशान होने वाली बात ये है कि इसी फ्रिक्वेंसी की रेडियो वेव्स को उपग्रहों में भी इस्तेमाल किया जाता है और आने वाले समय में जब 5G ज्यादा इस्तेमाल किया जाने लगेगा तब रेडियो वेव्स आपस में विच्छेद करने लगेंगी जिससे 5G और उपग्रह संचालन दोनों को नुक्सान होगा।

● 5G के आने से सबसे बड़ा नुक्सान ये है कि इससे जानवरों को काफी खतरा है। स्पेन में हुए एक रिसर्च के जरिए पता चला है कि टावर से निकलने वाली रेडिएशन के कारण पक्षियों में घोसला बनाने की शक्ति कम हो रही है। जिस तरह 4G के आने से गौरैया का दिखना बंद हो गया था।

● वैज्ञानिकों का मानना है कि ई-वेस्ट यानी विद्युतीय चीजों के द्वारा की गई खराब पदार्थों की भी संख्या बढ़ जाएगी। आपको पता है कि ई-वेस्ट के जरिए भी बहुत ख़तरनाक रेडिएशन निकलती है जो जानवर तक को मार देती है। ई-वेस्ट के विघटन में लगभग 50-60,000 साल लग जाते हैं।


इंसानों पर 5G का कोई दुर्प्रभाव नहीं है लेकिन फोन को अपने नजदीक रखने से इंसानों के शरीर का तापमान बढ़ेगा जिससे शरीर के उस क्षेत्र की कुछ कोशिकाएं नष्ट हो सकती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2025 तक 5G के 2.6 बिलियन यूजर हो जाएंगे और 2030 तक ये 5.8 बिलियन तक पहुँच जाएगा। 5G को पूरी तरह से लांच नहीं किया गया है तो इसीलिए ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।

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