सुषमा स्वराज का जीवन चरित
भारतीय जनता पार्टी में सुषमा स्वराज का नाम एक तेजस्वी नेता के रूप में विद्यमान हैं, जिन्हें इतिहास में हमेशा याद किया जायेगा और वो समय बेहद ही दर्दनाक था जब भारत ने सुषमा स्वराज को खो दिया था | एक माह से भी अल्प समय में दिल्ली ने अपने दो मुख्यमंत्रियों को खो दिया | सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री के पद पर रही शीला दीक्षित का देहांत हुआ और ठीक उसके दो सप्ताह के बाद दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज भी इस दुनिया को अलविदा कह गई | सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी वर्ष 1952 को हरियाणा के अम्बाला कैंट में हुआ था और राजनीति के क्षेत्र में उन्होंने महारत हासिल कर रखी थी | समाज तथा राष्ट्रसेवा को उद्देश्य बनाकर सुषमा स्वराज ने 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से अपने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की |
प्रारंभ से ही सुषमा स्वराज एक बेहतर हिंदी वक्ता थी | कॉलेज के दौरान वो लगातार तीन वर्षों तक एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट रही | इसके अतिरिक्त उन्होंने हरियाणा के भाषा विभाग की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में तीन बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता का पुरस्कार अपने नाम किया | वास्तव में उनमे बोलने वो कला थी जो सबको प्रभावित कर दे और ये आवाज जब पूरे संसद भवन में गूंजती तो चाहकर भी कोई उस भाषण से विचलित नहीं होता था | सुषमा स्वराज का एक ऐसा भाषण था (सितंबर 2016) जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी | विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए भी सुषमा जी ने अपने इस चर्चित भाषण के दौरान संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में ही भाषण दिया था और वो हिंदी भाषा की विदुषी महिला थी क्योंकि इनकी हिंदी में तत्सम शब्द अधिक होने के बाद भी उनके शब्दजाल में कृतक का कोई स्थान नहीं होता था | हिंदी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी और कई बार तो उन्होंने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कोशिश भी की |
प्रत्येक वर्ष आयोजित विश्व हिंदी दिवस सम्मलेन में सुषमा जी प्रथम पायदान पर नजर आती थी | संस्कृत से भी उन्हें कम लगाव नही था , कई विशेष अवसर पर उन्होंने संस्कृत में ही अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है जो उल्लेखनीय है | यहाँ तक की शपथ भी वो संस्कृत में ग्रहण करती थी | वर्ष 2012 मुंबई में आयोजित साउथ इंडिया एजुकेशन सोसाइटी ने सुषमा स्वराज को सम्मानित तथा पुरस्कृत किया और इस आयोजन के अंतर्गत संस्कृत के प्रकांड विद्वान उपस्थित थे | इस आयोजन में सुषमा स्वराज द्वारा दिया गया भाषण भी संस्कृत में ही था | इसी के साथ जुलाई वर्ष 2015 , बैंकॉक में सोलहवाँ विश्व संस्कृत सम्मलेन का आयोजन हुआ और क्योंकि ये सम्मलेन संस्कृत से जुड़ा हुआ था तो इसकी प्रमुख अतिथि भी सुषमा जी थी |
शिक्षा से जुड़ी बातें
सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल दोनों की वकालत के क्षेत्र में एक बेहतरीन पहुँच थी और सुषमा जी के शब्दभण्डार उससे भी अधिक शानदार थे | एक ऐसी घटना जिसमे राजनैतिक रूप से दोनों ही शामिल थे और उस घटना के दौरान सुषमा स्वराज द्वारा एक नारा दिया गया - "जेल का फाटक टूटेगा जॉर्ज हमारा छूटेगा" | आपातकाल के दौरान स्वराज कौशल जी जॉर्ज फ़र्नान्डिस ( बड़ौदा डायनामाइट मामले में उलझे समाजवादी अध्यक्ष ) के परामर्शदाता थे | इसी कतार में सुषमा स्वराज फ़र्नान्डिस की रक्षा दल में शामिल हुई | इस आयोजन में सुषमा स्वराज द्वारा दिया गया भाषण भी संस्कृत में ही था | इसी के साथ जुलाई वर्ष 2015 बैंकाक में सोलहवां विश्व संस्कृत सम्मलेन का आयोजन हुआ और क्योंकि ये सम्मलेन संस्कृत से जुड़ा हुआ था तो इसकी प्रमुख अतिथि सुषमा स्वराज थी |
जून, 1976 को गिरफ्तार फ़र्नान्डिस को मुजफ्फरपुर के जेल में रखा गया था | वर्ष 1977 में लोकसभा चुनाव में फ़र्नान्डिस ने जेल में रहकर नामांकन किया और वहीं से चुनाव लड़ने का निश्चय किया | इसी सिलसिले में सुषमा जी ने मुजफ्फरपुर के अनेक क्षेत्रों में जॉर्ज का प्रचार किया और परिणामस्वरूप इस राजनीतिक संघर्ष के पश्चात् जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने चुनाव में जीत हासिल की और मुजफ्फरपुर में उरूज की लहर उठी | सफलता की ओर बढ़ते हुए सुषमा जी ने अपने समकालीन परिस्थितियों पर भी कार्य किया | वो राजनीति से सम्बंधित प्रत्येक क्षेत्र में प्रवीण व कुषाग्र बुद्धि की थी | श्रीमती इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में घोषित आपातकाल के दौरान चल रहे सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन में सुषमा स्वराज ने हिस्सा लिया जिसके बाद वो जनता पार्टी की सदस्य नियुक्त हुई | इन्होने वर्ष 1977 में प्रथम दृष्टया : हरयाणा विधान सभा का चुनाव जीता और 25 वर्ष की अल्पायु में ( चौधरी देवी लाल की सरकार ) राज्य की श्रम मंत्री बन गई एवं सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनकर राजनीति में एक विशेष स्थान प्राप्त किया | महज 2 वर्ष बाद उन्हें राज्य जनता पार्टी का सदस्य घोषित किया गया |
80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के गठन की प्रक्रिया में सुषमा जी बीजेपी में शामिल हुई, वह पुनः अम्बाला से विधायक नियुक्त हुई और लोकदल सरकार ( बीजेपी ) में शिक्षा मंत्री के पद पर नामित की गई |
"एक व्यक्ति जब अपनी दक्षता से परिचित हो जाता है तो वो निरंतर उसी पे कार्य करता है तब तक, जब तक वो अपने जीवन के चरम लक्ष्य की प्राप्ति न कर ले अर्थात मृत्यु और इससे उम्र का कोई ताल्लुक नहीं "
सुषमा स्वराज उन शख्सियत में से एक है जिन्होंने राजनीति के स्वरुप को तो बदला ही, अतिरिक्त क्षेत्रों में भी शत - प्रतिशत योगदान दिया | कहने का अर्थ है कि एक तठस्थ एवं संवेदनशील महिला थी | एक के बाद एक छोर तक पहुँचने वाली सुषमा स्वराज 1990 के दशक में राज्य सभा की सदस्य बनी | छ: वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वर्ष 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीतकर सूचना प्रसारण मंत्री नियुक्त की गयी | वर्ष 1998 में एक बार फिर से सुषमा जी दक्षिण दिल्ली से लोकसभा के लिए नियुक्त की गयी | इसी समय उन्हें दूरसंचार मंत्रालय का भी दायित्व प्राप्त हुआ सुषमा स्वराज के इस कार्यावधि की एक विशेष परिप्राप्ति थी - भारतीय फिल्म को एक उद्द्योग का स्वरुप देना, ये सुषमा जी द्वारा लायी गयी एक क्रांति थी जिसके बाद भारतीय फिल्म उद्द्योग वित्तीय संस्थानों से ऋण ले सकता था |
पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में
अक्टूबर वर्ष 1998 में सुषमा स्वराज ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया और दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री ( 5वीं मुख्यमंत्री ) के पद पर कार्य किया | इसी वर्ष दिसम्बर में राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देकर राष्ट्रीय राजनीति में पुनः प्रवेश किया और ठीक एक साल बाद 1999 में बेल्लारी (कर्नाटक) से सोनिया गाँधी ( कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ) के खिलाफ चुनाव लड़ी लेकिन सुषमा जी हार गयी | वर्ष 2000 में फिर से राज्यसभा सांसद के रूप में उनकी वापसी हुई | कुछ समय बाद उन्हें स्वास्थ्य, जनहित तथा संसदीय मुद्दों की देखरेख करने के लिए मंत्री बनाया गया |
प्रतिपक्ष नेता के रूप में
जब सुषमा जी वर्ष 2009 में विदिशा ( मध्य प्रदेश ) से लोकसभा गयी जहाँ पर वो लाल कृष्णा अडवाणी जी के स्थान पर लोकसभा में 15वीं नेता प्रतिपक्ष बनी और साल 2014 तक वो इसी अंश पर कार्यरत रही | 2014 में सुषमा स्वराज ने विदिशा से विजयी हुई और भारत की पहली परिपक्व विदेश मंत्री नियुक्त की गयी | सुषमा जी के बारे में एक तथ्य ये भी है कि, ये बीजेपी की एकमात्र ऐसी लीडर थी जिन्होंने उत्तर और दक्षिण, भारत के दोनों क्षेत्रों से चुनाव लड़ा है | सुषमा जी एक असाधारण सांसद थी जो पहली महिला प्रवक्ता भी थी |
सुषमा स्वराज की कुछ ख़ास बातें
1 - 7 बार सांसद और 3 बार विधायक के रूप में कार्यरत सुषमा जी स्वास्थ्य एवं कुटुंब/परिवार कल्याण मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री, लोकसभा में पंद्रहवीं नेता प्रतिपक्ष, दिल्ली की 5वीं मुख्यमंत्री, तथा विदेश मंत्री के पद पर रहकर स्वदेश के काम आ सकी|
2 - विदेश मंत्री के रूप में सुषमा जी सोशल मीडिया पर भी क्रियाशील रहती थी| किसी भी तरह की आपात स्थिति में वो लोगों तक अपनी पहुँच बनाये रखती थी|
4 - साल 2015 में भी संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज द्वारा दिए गये भाषण में पाकिस्तान का जिक्र किया गया है| इस भाषण में उन्होंने पाकिस्तान को "आतंकवाद की फैक्ट्री" कहा है|
5 - विदेश मंत्री की समयावधि के अंतराल ही उनका स्वास्थ ठीक नही था| नवम्बर 2016 में उनकी किडनी खराब होने की जानकारी मिली और उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया|
6 - 6 अगस्त 2019 को कार्डियक अरेस्ट की वजह से सुषमा स्वराज जी का देहांत हो गया और भारतीय राजनीति में सुषमा जी द्वारा दिया गया योगदान रह गया|
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