◆ डा० भीमराव अंबेडकर जी का जीवन परिचय...

जन्म - 14 अप्रैल 1891 
जन्मस्थान - महू (मध्यप्रदेश)
माता - भीमबाई मुरबेदकर
पिता - रामजी मालोजी सकपाल
विवाह - 1906 में रमाबाई से और 1948 में सविता अंबेडकर
पुत्री - इंदू
पुत्र - यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न
अन्य नाम - बाबा साहिब

डा० भीमराव अंबेडकर बहुत महान थे। अपने कर्मों से, अपनी सोच से और समाज में बदलाव लाने से लोगों के प्रिय थे। बचपन में अंबेडकर जी को बहुत परिश्रम करना पड़ा है। वो दलित वर्ग के थे जिसके कारण सभी उनसे दूर रहा करते थे। जातिगत भेदभाव के कारण उनके साथ लोग दुर्व्यवहार करते थे और तो और मंदिर में जाने की अनुमति भी नहीं थी। 

अंबेडकर जी को पढ़ने का बहुत शौक था। दरअसल उनके पिता सेना में थे और कुछ ही दिन बाद रिटायर भी हो गए। उन्होंने अपने पिता से जिद्द की कि मुझे भी स्कूल जाना है मुझे भी पढ़ लिख कर कुछ बनना है लेकिन दलित वर्ग से होने के कारण इन्हें कहीं भी ऐडमिशन नहीं दिया जा रहा था। पढ़ाई भीमराव की जिद्द थी जो उन्हें किसी भी कीमत मे करनी ही करनी थी। 

आखिरकार उन्हें एक स्कूल में एडमिशन मिल ही गया लेकिन वही स्थिति इस स्कूल में भी थी, यहाँ पर भी अछूत जैसी कुरीति थी। ये परंपरा बहुत ही अजीब थी वो इसलिए क्योंकि दलित वर्ग के जो लोग हुआ करते थे अगर उनकी परछाई aw भी किसी सामान्य इंसान पर पड़ जाए तो उसे अपवित्र मान लिया जाता था। जब अंबेडकर जी स्कूल गए तो उन्हें कक्षा के बाहर या फिर जमीन पर बैठाया जाता था और पढ़ाने के मामले में उन पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया जाता था। यहाँ तक की जब उन्हें प्यास लगे तो स्कूल का चपरासी भी दूर से पानी पिलाता था, और जिस दिन चपरासी न आए हुए तो अंबेडकर जी को प्यासा ही रहना पड़ता था।

ये सब देखने के बाद भीमराव को बहुत दुख हुआ। वो ये सोचते थे कि आखिर एक इंसान मैं भी तो हूँ फिर लोगों के मन में दलित वर्ग को लेकर इतनी नफरत क्यों है आखिर क्यों इतना भेदभाव किया जाता है। आईए जानते हैं अंबेडकर जी की आत्मकथा के बारे में उनकी जीवन शैली क्या थी समाज के लिए उन्होंने क्या किया???

भीमराव अंबेडकर जी की शिक्षा

अंबेडकर जी पढ़ाई में बहुत रुचि रखते थे उन्हें ऐसा लगता था कि पढ़ाई ही एकमात्र ऐसा विकल्प है जो हमें हमारी मंजिल से रूबरू करा सकता है। शिक्षा हमारे जीवन का एक हिस्सा है जिसमें खुद को समर्पित करना हमारा कर्तव्य है। अंबेडकर जी की प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय से हुई थी फिर अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए उन्होंने मुंबई एलीफिंसटोन हाईस्कूल में अपना ऐडमिशन करवाया। जहाँ पर उन्होंने साल 1907 में मैट्रिक की डिग्री को हासिल किया। पढ़ाई के लिए भीमराव दूर दूर तक सफर करते थे कि कोई ऐसा स्थान मिल जाए जहाँ वो अपने विचारों से लोगों की सोच को बदल सकें।

इसी कालेज में अंबेडकर जी की मुलाकात होती है एक टीचर से जिनका नाम था अर्जुन केलुस्कर। भीमराव के लगन को देखकर उनके मेहनत को देखकर शिक्षक केलुस्कर उनसे बहुत प्रभावित हुए और उनके मार्गदर्शक बनें। वर्ष 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक को पूरा किया। यहाँ पर इन्होंने राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र से पढ़ाई की। 1913 में अंबेडकर जी कोलंबिया यूनिवर्सिटी अमेरिका चले गए, और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से ही दर्शनशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र के साथ अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री पूरी की। "प्राचीन भारत का वाणिज्य" पर इन्होंने खोज भी किया।

जब वो 4 साल बाद भारत आए तो यहाँ पर मिलिट्री सेक्रेटरी के रूप में काम करने लगे, कुछ दिन बाद उन्होंने वो नौकरी छोड़ दी क्योंकि वहाँ पर भी लोगों के विचार एक से थे दलित वर्ग से भेदभाव। ये सब देखकर भीमराव अंदर ही अंदर बहुत दुखी होते थे लेकिन फिर भी उन्होंने अपना हौसला बरकरार रखा। 1919 में वो लंदन चले गए। यहाँ तक पहुँचना कोई आसान बात नहीं है लेकिन कहते हैं न कि अगर कुछ पाने की इच्छा रखते हो तो उससे पहले त्याग करने की भी क्षमता रखो।

लंदन में वो M.Sc, B.Sc और बैरिस्टर की उपाधि हासिल की।यहाँ तक पहुँचने के बाद भी उन्हें काफी कुछ सहन करना पड़ा क्योंकि रहने के लिए कोई जगह देने को तैयार नहीं था। अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए बाँन यूनिवर्सिटी जो कि जर्मनी में है यहाँ पर उन्होंने ऐडमिशन लिया। इसी विश्वविद्यालय से 1927 में अर्थशास्त्र में D.Sc किए और 8 जून 1927 में ही कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने उन्हें डाक्टरेट से पुरस्कृत किया।

अंबेडकर जी की रचनाएँ

डा० भीमराव अंबेडकर जी एक लेखक भी थे जिन्होंने काफी सारी रचनाएँ भी की हैं। पढ़ाई के साथ साथ वो लिखना भी पसंद करते थे। पुस्तक लिखने में भी उनकी रूचि थी और जब इनकी रचनाएँ लोगों ने पढ़ना शुरू किया तो ये सारी पुस्तकें प्रकाशित होने लगी और कुछ रचनाएँ निम्नलिखित हैं।

● डा० बाबासाहिब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया
● मूलनायक
● श्री गांधी एवं अछूतों को मुक्ति
● शूद्र कौन (जिसमें दलित वर्ग का वर्णन किया गया है)
● बहिष्कृत भारत
● रूपये की समस्या
● द एनीहिलेशन आफ कास्ट
● बुद्ध या कार्ल मार्क्स

समाज सुधारक भीमराव अंबेडकर

अंबेडकर जी अपने जीवन में बहुत संघर्ष किए जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। कहते हैं कि हम जिस परेशानी से होकर गुजरते हैं कोशिश करनी चाहिए कि आगे चलकर वही परेशानी किसी और को न हो। जातिगत भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीति के खिलाफ लड़ाई लड़े और सभी को समानता का अधिकार दिलाया। कांग्रेस और गांधी जी ने दलित वर्ग को एक नाम दिया - हरिजन....

उन्होंने एक पुस्तक में लिखा है कि जिन्हें हम अछूत कहते हैं जिनके साथ हम जातिगत भेदभाव करते हैं आखिर वो भी तो हमारे समाज का ही हिस्सा हैं, वो भी तो इंसान ही हैं। उन्हें भी उतना ही अधिकार मिलना चाहिए जितना एक सामान्य इंसान को मिलता है। इनका उद्देश्य ये था कि निम्न वर्ग को एक बेहतर शिक्षा और समान अधिकार प्राप्त हो। बहुत से आंदोलन चलाए इन्होंने और ये कहा है कि जिस तरह सामान्य इंसान को मंदिर में जाने का अधिकार है उसी प्रकार दलित वर्ग के लोगों को भी मंदिर में जाने का पूरा अधिकार है। शिक्षा, सरकारी नौकरी और सिविल सर्विसेस में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की भी व्यवस्था की है।

कड़ी मेहनत से हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं जो इंसान किसी समय में अछूत माना जाता था उसकी परछाई को भी लोग अपवित्र मानते थे। आज उसने भारत में इतिहास रच दिया है। भीमराव अंबेडकर अपने विचारों से भी महान थे। वर्ष 1935 में डा० भीमराव अंबेडकर को सरकारी लाँ काँलेज का प्रधानाचार्य घोषित किया गया। मुंबई में उनका खुद का पुस्तकालय था जिसमें लगभग 50,000 से भी ज्यादा किताबें थी।

संविधान का निर्माण

डा० भीमराव अंबेडकर जी को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है क्योंकि इनकी सोच कुछ ऐसी थी कि किसी भी देश के शासन व्यवस्था के सफल संचालन के लिए संविधान का होना आवश्यक है। संविधान किसी भी देश की शासन व्यवस्था का आधार होता है। अंबेडकर जी ने समता, समानता, बंधुत्व और मानवता पर आधारित 2 साल 11 महीने और 18 दिन की मेहनत से भारतीय संविधान को तैयार कर दिया।

सर्वाधिक महत्वपूर्ण समिति प्रारूप समिति (Drafting Committee) थी जिसका गठन 29 अगस्त,1947 को कानून मंत्री डा० बी.आर अंबेडकर की अध्यक्षता में किया गया था। साल 1951 में महिला सशक्तिकरण विधेयक पारित करवाने की मांग की जो कि बहुत प्रयास के बाद भी पारित न हो सका इसीलिए अंबेडकर जी ने कानून मंत्री का पद छोड़ दिया। प्रजातंत्र को और बेहतर बनाने के लिए सरकार के तीन अंगों का निर्माण किया - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।

अंबेडकर जी ने संविधान के दौरान बहुत सी नीतियों का भी निर्माण किया है जैसे मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, सामाजिक आर्थिक, विदेश नीति, राज्य पुनर्गठन एवं शैक्षिक नीति आदि।।। आर्थिक नीतियों में जैसे नदियों को जोड़ना, बांध में जैसे दामोदर बांध, राष्ट्रीय जलमार्ग इन सभी के लिए नया मार्ग तैयार किया गया। कृषि के लिए खेती करने का आसान तरीका बताया कि कैसे जल आपूर्ति और विद्युत से पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। 

बौध्द धर्म से जुड़े थे भीमराव अंबेडकर

एक समय था जब अंबेडकर जी को मंदिर में जाने तक नहीं दिया जाता था और एक समय ऐसा भी आया जब खुद अंबेडकर जी हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया। साल 1950 में जब वो श्रीलंका गए तो वहाँ पर वो बौद्ध धर्म से उनके विचारों से उनके हाव भाव से बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने बौध्द धर्म को अपना लिया। हिंदू धर्म की परंपराओं से वे हमेशा उसके खिलाफ रहा करते थे। भारत आने के बाद बौद्ध धर्म पर उन्होंने कई किताबें भी लिखी है। 

डा० भीमराव अंबेडकर जी की मृत्यु

अंबेडकर जी की मृत्यु का उनकी तबीयत बिगड़ने से हुई थी। साल 1954 तक वो बीमारी से ग्रस्त रहे। सबसे बड़ी बात तो ये थी कि अंबेडकर जी की जो अंतिम पांडुलिपि थी बुध्द और धम्म उन्हें पूरा करके 6 दिसंबर साल 1956 को दिल्ली में उनका देहांत हो गया और इस दिन को पूरा देश नेशनल हालीडे के तौर पर मनाता है। 14 अप्रैल को मनाई जाने वाली जयंती को भीम जयंती कहा जाता है।

भीमराव अंबेडकर के बारे में

★ भीमराव अंबेडकर जी ने बहुत से क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। अपने पूरे जीवन में इन्होंने केवल देश के लिए काम किया। जैसे देश की आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक अलग-अलग क्षेत्रों में अंबेडकर जी ने अपनी भूमिका निभाई है।

★ अंबेडकर जी प्रथम भारतीय थे जिन्होंने विदेश में जाकर पी.एच.डी की डिग्री उत्तीर्ण की और अंबेडकर जी के पास 32 डिग्री थी।

★ पूरे 21 वर्ष तक अंबेडकर जी ने सभी धर्मों का अध्ययन किया और वो 9 भाषाओं के ज्ञाता थे। अर्थशास्त्र से डाक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले अंबेडकर जी पहले भारतीय थे।

★ भारत के राष्ट्र ध्वज में अशोक चक्र के निर्माता भीमराव अंबेडकर जी हैं। फैक्ट्रीयों में जो मजदूर 12-14 घंटे काम किया करते थे उस समय को घटाकर 8 घंटे का नियम अंबेडकर जी ने किया।

★ अंबेडकर जी का एक मनोहर चित्र जिसे भारतीय संसद भवन में दिखलाया गया है। अंबेडकर जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

जीवन में हमेशा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा चाहे वो परेशानी छोटी हो या बड़ी लेकिन जो आप कर रहे हैं उसमें पूरी तरह से लीन हो जाइए, अगर सामने मौत भी आकर खड़ी हो जाए तो उस मौत का खौफ आपको नहीं बल्कि आपका खौफ उस मौत को हो।
  





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