◆ भारत में चुनाव की व्यवस्था एवं चुनाव आयोग का इतिहास:

15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र का निर्माण किया गया। संविधान के आधार पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष के रूप में चुनाव कराया जाता है।

प्रत्यक्ष चुनाव: 

देश के लोग मतदान करके प्रतिनिधित्व को  राज्य विधानसभा और लोक सभा में भेजते हैं। यहाँ पर जो प्रत्यक्ष रूप से प्रतिनिधित्व चुने जाते हैं, वो ये निर्णय लेते हैं कि देश में सरकार का गठन कौन करेगा। इसमें (First Past The Post FPTP) का प्रयोग किया जाता है मतलब कि चुनाव क्षेत्र में जिस उम्मीदवार के पास सबसे ज्यादा मत है वो जीत हासिल करता है।

अप्रत्यक्ष चुनाव:

राज्य सभा, राज्य विधान परिषद, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनाव में होता है। जिनका चुनाव सीधे निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। इसमें आनुपातिक प्रतिनिधि और एकल संक्रमणीय मत का प्रयोग होता है और यहाँ जीतने के लिए 50% से ज्यादा मत चाहिए होता है। देश में सही तरीके से चुनाव का आयोजन किया जाए इसलिए भारत के संविधान में अनुच्छेद 324 के अंतर्गत चुनाव आयोग की घोषणा की गई है।

चुनाव आयोग का इतिहास

चुनाव का इतिहास अंग्रेजों के समय पर ही शुरू हो गया था। विधान सभा (Legislative Assembly) का गठन 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश संसद के चार्टर अधिनियम 1853 में किया गया था। जिसकी सदस्यों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई गई लेकिन शुरू में इसमें नामित सदस्य थे। भारत सरकार के अधिनियम 1892 में पहली बार अप्रत्यक्ष चुनाव को लाया गया और 1909 में पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव हुआ लेकिन चुनाव में मताधिकार सीमित थे जो कि धीरे धीरे फैला। 

जब भारतीय संविधान अस्तित्व में आया तो भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को लाया गया यानी कि हर वो प्रत्येक भारतीय नागरिक जो 21 साल का था वो मतदान कर सकता था बिना किसी भेदभाव के। 61वाँ संशोधन 1988 में इसे हटाकर 18 साल कर दिया गया कि अब वो हर नागरिक जो 18 वर्ष का है वो मतदान कर सकता है।

स्वतंत्र भारत का प्रथम चुनाव 1950-1952 के बीच में हुआ। लोक सभा के लिए 489 सीटें थी जिसमें लगभग 17 करोड़ मतदाता थे और 36 करोड़ मतदाता पात्र थे। आज के समय में लोक सभा की सीट 550 पर सीमित है लेकिन वास्तव में 543 सीटों पर ही चुनाव होता है। प्रथम चुनाव 68 चरणों में 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच में हुआ। जिसमें 44.99 मत और 364 सीटों के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस INC जीत गई। जो दूसरी पार्टी थी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी उसे 16 सीटों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।

पूरे 14 राष्ट्रीय दल और 39 राज्य पार्टी ने पहले चुनाव में भाग लिया था और 14 राष्ट्रीय पार्टीज में आज केवल दो पार्टियाँ अस्तित्व में आती है Indian National Congress और Communist Party Of India......

भारत में चुनाव कैसे होता है???

भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था को अपनाते हैं। संघीय व्यवस्था के अनुसार भारत में दो तरह की सरकार होती है - राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार। 

1 - केंद्र सरकार:

भारत का संसद दो सदनों से मिलकर बनता है, 1- ऊपरी सदन (Upper House) 2- निम्न सदन (Lower House)!!!!
संसद दो सदनों से कानून का निर्माण करता है और कानून संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद भारत के राष्ट्रपति के द्वारा उस कानून को पूरे देश में लागू किया जाता है।

बात करते हैं दोनों सदनों के बारे में-----
 

● ऊपरी सदन (Upper house/Rajya Sabha)

राज्य सभा को उच्च सदन या द्वितीय सदन भी कहते हैं।
राज्य सभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है। सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य यहाँ के सदस्यों का चुनाव करते हैं। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसे कभी भी भंग नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक दो साल पे इसके एक तिहाई सदस्य अपनी जगह खाली कर देते हैं। राज्य सभा की सदस्यों की संख्या अधिकतम 250 है लेकिन वर्तमान समय में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 245 है। विशेष बात कि राज्य सभा में 12 सदस्य विज्ञान, समाज सेवा, कला एवं साहित्य के क्षेत्र में लोगों को राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किया जाता है। राज्य सभा में अधिक जनसंख्या होने के कारण उत्तर प्रदेश को 31 सीट और कम जनसंख्या के कारण सिक्किम को 1 सीट दी गई है।

राज्य सभा की शक्तियां:

भारतीय संविधान द्वारा राज्य सभा को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां भी दी गई हैं जो निम्नलिखित हैं।।।।

★ राज्य सभा संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है।
★ संवैधानिक संशोधनों को भी पारित करती है।
★ राज्य सभा सामान्य विधेयकों पर विचार करके उन्हें पारित करती है और धन विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखती है।
★ धन विधेयक को राज्य सभा केवल 14 दिनों तक रोक कर रख सकती है।
★ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का हिस्सा बनती है। राज्य सभा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी हटा सकती है और सबसे मुख्य बात कि उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही रखा जाता है।

राज्य सभा का चुनाव कैसे होता है????

राज्य सभा का चुनाव लोक सभा से बिल्कुल अलग होता है। इसके सदस्यों को जनता परोक्ष रूप से निर्वाचित करती है जिसमें विधान सभा के सदस्य वोट करके राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन करते हैं। 250 सीटें होती हैं, जिसमें 238 सदस्यों को अलग अलग राज्य से केन्द्र शासित के M.l.a. निर्वाचित करते हैं और बाकी के 12 सदस्यों को भारत का राष्ट्रपति मनोनीत करता है।

● निम्न सदन/प्रथम सदन (Lower House/Lok Sabha)

लोक सभा एवं विधानसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली के आधार पर किया जाता है। इसमें सभी व्यक्ति के मत का मूल्य दूसरे व्यक्ति के मत के समान होता है। लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम 25 वर्ष आयु होनी चाहिए। इसके सदस्यों को 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। यदि सरकार कोई गठबंधन नहीं बना पाती है तो 5 वर्ष से पहले भी लोक सभा को भंग किया जा सकता है और लोक सभा भंग करने का आदेश राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री द्वारा दिया जाता है। वर्तमान में लोक सभा के 543 निर्वाचन क्षेत्र हैं जो साल 1971 की जनगणना से अभी तक जारी है।

लोक सभा की शक्तियाँ

★ धन विधेयक केवल लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है और लोक सभा उसमें संशोधन अथवा अस्वीकृत कर सकती है।
★ संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का कार्य करती है।
★ मंत्रीपरिषद केवल लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
★ उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव सबसे पहले राज्य सभा में प्रस्तुत किया जाता है, लोक सभा में नहीं।



 

                            

Post a Comment

और नया पुराने