भारत के अपवाह तंत्र

भारत में अनेक छोटी बड़ी नदियाँ पाई जाती हैं। भारत के अपवाह तंत्र मुख्यतः दो भागों में बँटे हुए हैं। 1- हिमालयी अपवाह तंत्र, 2- प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र।

        1 - हिमालयी अपवाह तंत्र

हिमालयी अपवाह तंत्र का विकास भू-गर्भिक इतिहास के समय में हुआ। इस अपवाह तंत्र में मुख्य रूप से सिंधु, गंगा एवं ब्रम्हपुत्र नदी द्रोणियाँ ही पाई जाती हैं। जो वर्षा और बर्फ के पिघलने से जल प्राप्त करती हैं। ये नदियाँ बारहमासी होती हैं। ये नदियाँ जब पहाड़ों से मैदानी भागों में प्रवाहित होती हैं तब गोखुर झील, मुहाने डेल्टा और समतल घाटियाँ जैसी स्थलाकृतियों का निर्माण करती हैं।

        हिमालयी अपवाह तंत्र के नदी तंत्र

हिमालयी अपवाह तंत्र के बहुत से नदी तंत्र हैं जो कि उल्लेखनीय हैं.....

सिंधु नदी तंत्र

● ये दुनिया की बड़ी नदियों में से एक है, जिसका उदगम केंद्र तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू के पास एक हिमनद से होता है। इसका क्षेत्रफल 11 लाख 65 हजार वर्ग किलोमीटर है। भारत में इसका क्षेत्रफल 3 लाख 21 हजार 289 वर्ग किलोमीटर है। इस नदी की कुल लंबाई 2,280 किलोमीटर है और भारत में इसकी कुल लंबाई 1,114 किलोमीटर तक पाई जाती है। सिंधु नदी को तिब्बत में सिंगी खंबान अथवा शेरमुख कहा जाता है। 

         सिंधु नदी तंत्र की सहायक नदियाँ

हिमालय पर्वत से निकलने वाली सिंधु की प्रमुख नदियाँ हैं - गिलगित, जास्कर, शिगार, द्रास, नुबरा, हुंजा एवं शयोक हैं, जो कि अटक के पहाड़ियों से निकलती हैं। इसकी सहायक नदियां कुछ इस प्रकार है।

1- झेलम नदी - यह सिंधु की सहायक नदी है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल में स्थित वेरीनाग झरने से निकलती है। अंत में जाकर चेनाब नदी से मिल जाती है।

2 - चेनाब नदी - यह सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है। ये दो नदियों के मिलने से बनती हैं चंद्रा और भागा जिसे चंद्रभागा भी कहते हैं।

3 - रावी नदी - यह नदी हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिमी ओर से निकलती हैं और चंबा घाटी से होकर बहती है।

4 - व्यास नदी - यह नदी समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई पर है जो कि व्यास कुंड से निकलती है। यह पंजाब में प्रवेश कर हरिके के पास सतलज नदी से मिल जाती है।

5 - सतलज नदी - यह नदी तिब्बत में 4,555 मीटर की ऊंचाई पर मानसरोवर के पास राक्षस ताल से निकलती है‌, जिसे वहाँ लाॅगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है। यह भारत में प्रवेश करने से पहले सिंधु नदी के लगभग 400 किमी तक बहती है और रोपड़ में महाखड्ड से बाहर निकलती है‌‌‌। यह नदी भाखड़ा नांगल परियोजना के नहर तंत्र का पोषण करती है।


     गंगा नदी तंत्र एवं उनकी सहायक नदियाँ


यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है। गंगा नदी उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के पास गंगोत्री से निकलती है। यहाँ पर ये भागीरथी के नाम से जानी जाती है और जब यह नदी देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है तो गंगा कहलाती है।

गंगा नदी की कुल लंबाई 2,525 किमी है और उत्तराखंड में 110 किमी, उत्तर प्रदेश में 1450 किमी, बिहार में 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी इसकी लंबाई है। गंगा नदी हरिद्वार के मैदान में प्रवेश करती है। दक्षिण से दक्षिण पूर्व की ओर फिर पूर्व की ओर बहते हुए अंत में दो धाराओं में बँट जाती है - भागीरथी और हुगली।

       (गंगा नदी की सहायक नदियाँ)


इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा है। गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में अपवाहित होती है।

1 - यमुना नदी - यमुना गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है जिसका उद्गम केंद्र यमुनोत्री हिमनद है। यह प्रयाग में गंगा से मिलती है सिंध, बेतवा, केन इसके दाएँ तट पर मिलती हैं और रिंद, सेंगर, वरूणा इसके बाएँ तट पर मिलती है। इसका जल सिंचाई के लिए पूरब तथा पश्चिम नहरों द्वारा आगरा में लाया जाता है।

2 - चंबल नदी - ये मध्यप्रदेश के मालवा पठार में महु के पास से निकलती है जो उत्तर दिशा में बहते हुए राजस्थान के कोटा में पहुँचती है। गांधी सागर बाँध इसी नदी पर बनाया गया है।

3 - गंडक नदी - यह काली गंडक तथा त्रिशूल गंगा के मिलने से बनती है। जो नेपाल, धौलागिरी, और माउंट एवरेस्ट के बीच से निकलती है और मध्य हिमालय में अपवाहित होती है।

4 - घाघरा नदी - यह मापचाचूँगो हिमनद से निकलती है। ये नदी तिल, सेती और बेरी नामक नदियों का जल ग्रहण करती है और शीशापानी में एक खड्ड का निर्माण करते हुए बाहर निकलती है। शारदा नदी इससे मैदान में मिलती है और अंत में गंगा में मिल जाती है।

5 - कोसी नदी - यह एक पूर्ववर्ती नदी है जिसका उद्गम स्थान माउंट एवरेस्ट के उत्तर में है। यहाँ से इसकी मुख्य धारा अरूणा निकलती है। नेपाल के पश्चिम से सोन, कोसी और पूर्व से तमुर कोसी इसमें आ मिलती हैं। जब कोसी अरूण नदी से मिलती है तब यह सप्तकोसी कहलाती है। कोसी नदी को बिहार का शोक भी कहा जाता है।

6 - रामगंगा नदी - यह छोटी नदी है जो गैरसेन के पास गड़वाल पहाड़ियों से निकलती है। यह उत्तर प्रदेश में नजीबाबाद के पास मैदान में उतरती है और अंत में कन्नौज के पास गंगा नदी में मिल जाती है।

7 - दामोदर नदी - छोटा नागपुर पठार इसका उद्गम केंद्र है और भ्रंश से होते हुए हुगली नदी में प्रवाहित होती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी बराकर है। बंगाल का शोक दामोदर नदी को  कहा जाता है।

8 - सरयू नदी - इसका उद्गम स्थल हिमालय के मिलान हिमनद से है जहाँ इसे गौरी गंगा कहा जाता है। इसे शारदा नदी के नाम से भी जानते हैं। यह नदी भारत नेपाल सीमा के साथ बहती हुई घाघरा नदी में मिल जाती है जहाँ इसे काली या चाइक कहा जाता है।

9 - महानंदा नदी - यह दार्जिलिंग की पहाड़ियों से निकलती है जो पश्चिम बंगाल में गंगा के बाएँ तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।

10 - सोन नदी - यह अमरकंटक पठार से निकलती है और गंगा के दक्षिणी तट पर मिलने वाली एक बड़ी सहायक नदी है। ये गंगा में अपना जल अपवाहित करती है।

           ब्रम्हपुत्र नदी तंत्र:

ब्रम्हपुत्र नदी विश्व की बड़ी नदियों में से एक है। इसका उद्गम केंद्र कैलाश पर्वत श्रेणी की मानसरोवर झील के निकट चेमायुँगडुँग हिमनद से है। पूर्व दिशा में बहती हुई दक्षिणी तिब्बत के मैदान में लगभग 1200 किमी की दूरी तय करती है। दक्षिणी तिब्बत में इसे सांग्पो कहा जाता है तिब्बत की रागोसांग्पो नदी इसकी प्रमुख सहायक नदी है।

यह  सादिया कस्बे जो कि अरूणाचल प्रदेश में है जहाँ पश्चिम से ये भारत में प्रवेश करती है और जब यह सिकांग और लोहित नामक नदी से मिलती है तो यह ब्रम्हपुत्र के नाम से जानी जाती है।

        ब्रम्हपुत्र नदी की सहायक नदियाँ

इसके बाएँ तट पर मिलने वाली नदियाँ  बूढ़ी दिहिंग, घनसटी और कालांतर है तथा दाएँ तट पर मिलने वाली नदियाँ कामेंग, मानस, संकोश है। ब्रम्हपुत्र बांग्लादेश में दक्षिण दिशा में बहती है, जहाँ तिस्ता नदी इसके दाहिने पर आकर मिलती है। वहाँ ये जमुना के नाम से जानी जाती है। पदमा नदी से मिलकर बंगाल की खाड़ी ये अपना जल अपवाहित करती है।

       प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र


इसकी नदियाँ प्रौढ़ावस्था में बहती हैं जो कि हिमालय तंत्र से भी पुरानी है। इसके उत्तरी भाग में निकलने वाली सिंध, चंबल, बेतवा, केन एवं सोन गंगा नदियाँ है। इसके अलावा महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी प्रमुख नदी है।

     प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र के नदी तंत्र:


महानदी नदी तंत्र - यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से निकलकर उड़ीसा से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में अपवाहित होती है। इस नदी की लंबाई 851 किमी है। इस नदी का 53% भाग मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तथा 47% भाग उड़ीसा में विस्तृत है।

गोदावरी नदी तंत्र - यह नदी 1,465 किमी लंबी है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है और ये प्रायद्वीपीय भाग की सबसे बड़ी नदी है जिसे दक्षिण गंगा के नाम से जाना जाता है। इसकी सहायक नदियाँ छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश राज्य से होकर गुजरती हैं। इनकी सहायक नदियाँ पेनगंगा, मंजीरा, इंद्रावती और प्राणहिता है। यह नदी राजामुंदरी के बाद कई धाराओं में बँटकर डेल्टा का निर्माण करती है।

कृष्णा नदी तंत्र - यह प्रायद्वीपीय भाग की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका उद्गम स्थान सह्द्रि महाबलेश्वर के पास से निकलती है। यह 1,401 किमी लंबी है। कोयना, भीमा और तुंगभद्रा इसकी सहायक नदियाँ है। इस नदी के कुल जलग्रहण का 27% भाग महाराष्ट्र में 44% भाग कर्नाटक में और 29% भाग आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है।

कावेरी नदी - यह नदी कर्नाटक के कोणार्क जिले में स्थित ब्रम्हागिरी पहाड़ियों से निकलती है जो 800 किमी लंबी है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है काबीनी, भवानी और अमरावती है। इस नदी जलग्रहण का 3% भाग केरल में 41% भाग कर्नाटक में और 56% भाग तमिलनाडु में है।

नर्मदा नदी - इस नदी पर सरदार सरोवर परियोजना निर्मित है। यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। इसका उद्गम स्थान अमरकंटक पठार से निकलती है जिसकी ऊँचाई लगभग 1,057 भी है।

ताप्ती नदी - ये मध्यप्रदेश में बैतूल जिले के मुल्ताई से निकलती है। इसके कुल अपवाह क्षेत्र का 79% भाग महाराष्ट्र में 15% भाग मध्य प्रदेश में और 6% भाग गुजरात में अपवाहित होती है।

लूनी नदी - यह राजस्थान का बड़ा नदी तंत्र है। इसका उद्गम केंद्र पुष्कर के पास सरस्वती और सागरमती से होता है। दूरी कम होने के कारण इसे अल्पकालिक नदी तंत्र भी कहते हैं।


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