नोबेल पुरस्कार का इतिहास




नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है। जो कि एक स्वेडिश रसायनज्ञ थे। इनका पूरा नाम अल्फ्रेड बर्नाड नोबेल है, जिनका जन्म 21 अक्टूबर 1833 को स्टाॅकहोम स्वेडेन में हुआ था। जब वो 18 साल के हुए तब वो रसायन शास्त्र के अध्ययन के लिए अमेरिका चले गए। उनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद जब वो वापस आए तो उन्होंने अपने पिताजी के स्वेडेन के एक कारखाने में एक्सप्लोसिव और नाइट्रोजन ग्लिसरीन के बारे में अध्ययन करना शुरू कर दिया।


साल 1864 में उस कारखाने में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ उस विस्फोट में वो पूरा कारखाना नष्ट हो गया जिसमें अल्फ्रेड के छोटे भाई की भी मौत हो गई। अल्फ्रेड नोबेल बचपन से ही बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। पढ़ाई में बहुत होशियार भी थे और यही कारण था जिससे अल्फ्रेड ने अपने जीवन में 355 आविष्कार किए।

सन् 1867 में अल्फ्रेड ने एक आविष्कार किया था जिसका नाम था डायनामाइट (Dynamite) इसकी खोज करने के बाद जिससे इन्होंने बहुत पैसे कमाए।


  नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई???

नोबेल पुरस्कार की शुरुआत के पीछे का कारण था अखबार में छपी हुई एक झूठी खबर। ये कहानी है सन् 1888 की जब एक अखबार ने गलती से छाप दिया था कि मौत के सौदागर अल्फ्रेड नोबेल। अखबार के उस आर्टिकल में अल्फ्रेड नोबेल को उनके आविष्कार डायनामाइट के कारण  हजारों लाखों लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया था। इससे अल्फ्रेड बहुत दुखी हो जाते हैं और अपने ऊपर लगे हुए इतने बड़े कलंक झूठा साबित करने का निश्चय किया।


जिसके बाद 27 नवंबर, 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने एक वसीयत लिखी और उस वसीयत में उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा एक संस्थान बनाने के लिए दे दिया। 29 जून 1900 को नोबेल संस्थान की स्थापना हुई और साल 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जाने लगा।


            नोबेल पुरस्कार के बारे में....

किसी भी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा 3 लोगों को नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है। नोबेल पुरस्कार 6 क्षेत्रों में दिया जाता है:-

अर्थशास्त्र, भौतिक विज्ञान, साहित्यिक, शांति, रसायन विज्ञान और मेडिकल।

प्रथम भारतीय पुरुष रवीन्द्रनाथ टैगोर जिन्हें साल 1913 में  साहित्य ( गीतांजलि) के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।

प्रथम भारतीय महिला मदर टेरेसा जिन्हें साल 1979 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सबसे पहला नोबेल पुरस्कार मैडम क्यूरी को दिया गया था दो बार। पहला साल 1903 में और दूसरा साल 1911 में।

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