(भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन) Indian Space research organization

इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को डा० विक्रम साराभाई ने की थी, जिन्हें भारत में स्पेस प्रोग्राम का अध्यक्ष भी माना जाता है। कभी साईकिल पर रॉकेट के हिस्से लेकर और बैलगाड़ी पर उपग्रह को ले जाने तक का सफर तय किया है। इसरो का सफर थुंबा से शुरू हुआ था जो कि केरल के तट के पास स्थित है और यहीं से भारत ने अपना पहला साउंडिंग रॉकेट लांच किया था 21 नवंबर,1963 को।

देश के पहले रॉकेट की कहानी:

एक दिन विक्रम साराभाई और कुछ वैज्ञानिक जिसमें ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम भी मौजूद थे और ये सभी थुंबा गए थे। रॉकेट लांच के लिए ये लोग केंद्रीवैंडम के विशम के घर पहुंचे जो कि एक चर्च के नजदीक था और उन्हें वो जगह रॉकेट लांच के लिए एकदम सही लगी। देश के पहले रॉकेट लांच के लिए साराभाई समेत वैज्ञानिकों की पूरी टीम उस जगह को अपने इस्तेमाल में लाना चाहती थी। सहमति मिलने के बाद इस चर्च में रॉकेट प्रक्षेपण के शुरुआती काम भी हुए और बैठक भी होती थी।


ये रॉकेट नासा का था लेकिन भारत अपनी जमीन पर इस रॉकेट को लांच करने की तैयारी में लगा था, उस वक्त साधन न होने के कारण रॉकेट के हिस्से को बैलगाड़ी और साईकिल के जरिए प्रक्षेपण के लिए पहुँचाया जाता था तो कुछ इस तरह भारत ने नासा द्वारा सप्लाई किया गया साउंड रॉकेट (Nike Apache) जिसे ARGOB-B भी कहा जाता है जिसका प्रक्षेपण किया गया।

Nike Apache उस वक्त रेडियो एस्ट्रोनामी, मेट्रालाजी, ऐयरोनामी, एटमास्फेरिक कंडीशन, प्लाजमा भौतिकी और सौर भौतिकी का अध्ययन करने के लिए प्रक्षेपित किया गया था। 1971 में श्रीहरिकोटा में अंतरिक्ष स्टेशन बना जिसे आज सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के नाम से जाना जाता है। यहीं से सभी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाता है। 1977 में Satellite Telecommunication Experimenting Project (STEP) शुरू हुआ जो कि टीवी को हर गांव तक लेकर गया।

7 जून 1979 को पहला EOS (Earth Observation Satellite) लांच किया गया, फिर 10 अगस्त को पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान का प्रयोग हुआ। 19 जून 1981 को इसरो ने पहला संचार उपग्रह ऐपल ऐरिन रॉकेट की मदद से प्रक्षेपित किया गया और इसके उपग्रह बैलगाड़ी के द्वारा ले आए गए थे। 25 सितंबर 2009 को भारत ने ये घोषणा की कि भारत ने चंद्रमा की सतह पर मौजूद पानी का पता लगाया है।

16 नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLv C25 के जरिए अंतरिक्ष में मंगल मिशन का सफर शुरू हुआ। 16 फरवरी 2017 को इसरो ने एक साथ अंतरिक्ष में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इससे पहले ये रिकॉर्ड सिर्फ रूस के पास था, जिसने एक बार में ही 37 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था।
2018 को भारत ने अपने IRNSS (Indian Regional Navigation Satellite System) मिशन को पूरा किया। 1 हजार 420 करोड़ का ये प्रोजेक्ट साल 1999 में कारगिल युद्ध के समय में ही शुरू हो गया था।


19 अप्रैल 1975 को आर्यभट्ट नाम का उपग्रह लांच किया गया लेकिन ये उपग्रह पूरी तरह से बनाया गया था, इसे डिजाइन देने का काम भी भारत ने ही किया था लेकिन सोवियत संघ की मदद से इसे प्रक्षेपित किया गया था क्योंकि उस समय भारत इतना सक्षम नहीं था कि वो खुद का उपग्रह अंतरिक्ष में भेज सके। रॉकेट तो भारत ने लांच कर दिया लेकिन उपग्रह लेके प्रक्षेपण करने वाले जो रॉकेट होते हैं वो हमारे पास नहीं था।

18 जुलाई 1980 में भारत ने खुद का एक ऐसा रॉकेट बना डाला जो अंतरिक्ष में उपग्रह लेकर जा सकता था। SLV-3 नाम का उपग्रह प्रक्षेपण यान था। उसमे रोहिणी नाम की उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया था। 

इसके बाद भारत छठा ऐसा राष्ट्र बन गया जो कि खुद का उपग्रह अपने प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष तक भेज सकता था। साल 1984 में सोवियत संघ के साथ मिलकर भारत ने एक अंतरिक्ष मिशन चलाया था, जिसमें इंसान अंतरिक्ष में जाएंगे। राकेश शर्मा जी 8 दिन बिताए थे अंतरिक्ष में और ये भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी।










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