आखिर क्यों डूब गया टाइटैनिक जहाज??




टाइटैनिक जहाज दुनिया का सबसे विशाल समुद्री जहाज था और उस समय ये जहाज मनुष्यों द्वारा किया गया सबसे बड़ा आविष्कार माना जाता है। इस जहाज को बनाने की शुरुआत 31 मार्च 1909 में हुई थी जिसे 3000 लोगों की टीम ने मिलकर बनाया था और 31 मई 1911 यानी केवल 26 महीने में ये बनकर तैयार हो गया था। इससे संबंधित एक तथ्य बता दें कि ये जहाज तीन फुटबॉल के मैदान के जितना बड़ा था और जिस दिन ये बनकर तैयार हुआ उसी दिन 1 लाख से भी ज्यादा लोग इस जहाज को देखने आए थे।

टाइटैनिक का अन्य कार्य 1912 तक चलता रहा। टाइटैनिक 10 अप्रैल 1914 को इंग्लैंड के साउथम्पटन से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ। अभी तक तो सब एकदम ठीक चल रहा था लेकिन 14 अप्रैल की रात को 11:40 पर ये जहाज एक हिमपर्वत से टकरा गया जो 100 फीट ऊँचा था जिसकी वजह से इसके निचले हिस्से में पानी भरना शुरू हो गया। ऐसा माना जाता है कि वो हिमपर्वत 10 हजार साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हो गया था।

हिमपर्वत से टकराने की वजह से जहाज पर बैठे लोग काफी डर गए थे। जहाज पर बैठे बच्चे और औरतों को उतारा जाने लगा। उस जहाज पर 3,547 लोग बैठे थे, जिनमें से 2,687 यात्री थे और 860 क्रू मेंबर्स थे। 1,537 के आसपास लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। हिमपर्वत से टकराने के 2 घंटे 40 मिनट बाद ही टाइटैनिक जहाज समुद्र में डूब गया और ये हादसा उत्तरी अटलांटिक महासागर में हुआ था।

इस जहाज पर केवल 20 लाइफबोटस थी जिसके जरिए लोगों को बचाया जा रहा था। यदि ज्यादा से ज्यादा लाइफबोटस होते तो बिकी की भी जान बचाई जा सकती थी। ऐसे में केवल 306 लोगों की मृत शरीर मिल पाई थी। जिस पानी में ये जहाज डूबा था उसका तापमान केवल 2℃ था जिसमें किसी इंसान का 15 मिनट रहना भी बहुत खतरनाक साबित होता था।

समुद्र में टाइटैनिक जहाज के दो टुकड़े पड़े हैं और आपस में दोनों की दूरी 600 मी. है। हर दिन उस जहाज को 600 टन कोयले की जरूरत होती थी। इस जहाज में चार बड़ी चिमनियां थी लेकिन आश्चर्य की बात है कि केवल तीन चिमनियों से ही धुआँ निकलता था, चौथी चिमनी को जहाज का संतुलन बना रहे इसलिए बनाया गया था।

आज तक ये साबित नहीं हो पाया कि आखिर क्यों टाइटैनिक दो हिस्सों में बँट गई? कुछ का कहना है कि समुद्र की सतह पर एक ही तरफ ज्यादा दबाव पड़ने की वजह से ये टूट गया होगा। सन् 1997 में बनी मूवी Titanic काफी लोकप्रिय मानी जाती है और चर्चा में भी रही है। जहाज पर यात्रियों के लिए व्यवस्था भी की गई थी, जैसे 3,500 पाउंड प्याज, 36,000 सेब, 40 टन आलू, 40,000 अंडे, 86,000 पाउंड मीट इन सब की सुविधा उस जहाज पर थी।

कुछ अन्य जानकारियाँ

●उस जहाज की अधिकतम वेग 43 कि.मी प्रति घंटा थी।
●टाइटैनिक जहाज में जो सीटी लगी थी वो लगभग 16 कि.मी दूर तक सुनाई देती थी।
●जब इस जहाज को बनाया जा रहा था उस दौरान 250 लोग घायल भी हुए थे।
●जहाज पर 9 कुत्ते भी सवार थे लेकिन दुर्घटना के बाद 2 ही कुत्ते सही सलामत बच पाए थे।
●इस जहाज में सफर करने के लिए जो रकम थी लो फर्स्ट क्लास के लिए 2 लाख 70 हजार ₹ (4,350$) सेकंड क्लास के लिए 1 लाख ₹ (1,750$) और थर्ड क्लास के लिए 2 हजार ₹ (30$) था।




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