राज्य स्तर पर राज्यपाल की शक्तियाँ (Powers of Governer on the state level)

जैसे केन्द्रीय स्तर पर कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होता है उसी प्रकार राज्य स्तर पर कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है लेकिन संवैधानिक एवं वास्तविक रूप से राज्य का प्रमुख मुख्यमंत्री (Cheif Minister) होता है जिस प्रकार केन्द्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री (Prime Minister) होता है। 

• अनुच्छेद 152 के अंतर्गत राज्यपाल की व्याख्या की गई है।

• अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होंगे।

• अनुच्छेद 154 के अंतर्गत राज्यपाल की ‌शक्तियों के बारे में और उनके कार्य का वर्णन किया गया है लेकिन सैन्य शक्ति, आपातकालीन शक्ति और विदेश स्तर से जुड़ी हुई शक्तियां राज्यपाल को नहीं दी गई है।

राज्यपाल की मुख्य शक्ति

कार्यकारी शक्ति (executive power)

राज्य में कई पद हैं जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। जैसे मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल ही करता है और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद की नियुक्ति भी राज्यपाल करता है। राज्य वित्त आयोग की नियुक्ति राज्यपाल करता है। राज्य में लोक सेवा आयोग के बोर्ड मेम्बर्स की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।

राज्य में जितने भी विश्वविद्यालय है उनके कुलपति भी राज्यपाल द्वारा चुने जाते हैं, जिला न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल के सलाह पर राष्ट्रपति करता है।

(विधायी शक्ति) कोई भी विधेयक तब तक पारित नहीं किया जा सकता जा सकता जब तक उस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो जाते।

राज्यपाल की नियुक्ति 

अनुच्छेद 155 के अंतर्गत राज्यपाल की नियुक्ति के बारे में बताया गया है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है लेकिन केन्द्र सरकार की सलाह पर ही राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति कर सकता है। 156 अनुच्छेद के अनुसार राज्यपाल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है, इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और बिना राष्ट्रपति के इजाजत के राज्यपाल अपने पद से इस्तीफा नहीं दे सकता।

राज्यपाल की योग्यता क्या होनी चाहिए??

अनुच्छेद 157 और 158 में योग्यता का वर्णन किया गया है।

1 - भारत का नागरिक हो

2 - 35+ उम्र होनी चाहिए

3 - सरकारी सेवा से जुड़े न हों

4 - संसद, विधान मंडल (विधानसभा और विधान परिषद) का सदस्य न हो।

अनुच्छेद 159 में शपथ की व्याख्या की गई है। राज्यपाल को शपथ दिलाने का काम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का है। 

अनुच्छेद 61 के अनुसार राज्यपाल को क्षमादान की शक्ति प्रदान की गई है लेकिन ये क्षमादान सिर्फ और सिर्फ राज्य सूची के विषयों पर ही दिए जाएंगे और इसमें राज्यपाल मृत्यु दंड को क्षमादान नहीं दे सकता।

अनुच्छेद 213 के तहत राज्यपाल को ये शक्ति दी गई है कि जब विधानसभा काम करना बंद कर दे और उस स्थिति में कोई कानून जरूरी हो जाता है तो राज्यपाल अपने हस्ताक्षर के जरिए उसे कानून बना देता है।

अनुच्छेद 333 के अंतर्गत विधानमंडल में जो विधानसभा है उसमें एक एंग्लो इंडियन का चयन करने की शक्ति राज्यपाल को दी गई है।

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