―: क्या है महाजनपद :―   

बौद्ध साहित्य में महात्मा बुद्ध के आविर्भाव से पूर्व एवं उनके समय में महाजनपदों के अस्तित्व का पता चलता है। अंगुतर निकाय नामक बौद्ध ग्रंथ में ‛महात्मा बुद्ध के आविर्भाव से पूर्व के महाजनपदों’ का उल्लेख है, जिनकी संख्या सोलह थी। ये सोलह महाजनपद निम्नलिखित रूप से आगे दिए गए हैं―


1. अंग राज्य ― यह महाजनपद आधुनिक बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में था। चम्पा नगरी इसकी राजधानी थी। अंग एक शक्तिशाली महाजनपद था। यहाँ के राजा ब्रह्मदत्त ने मगध को पराजित किया था।

2.  मगध ― यह महाजनपद दक्षिण बिहार में स्थित था। इसकी राजधानी गिरिब्रज था।

3.  काशी ― इस युग का सबसे प्रसिद्ध जनपद था। इस जनपद की राजधानी वाराणसी थी। यह ज्ञान, व्यापार और शिल्प का केंद्र था। छठी शताब्दी में कौशल के राजा ने इसे जीत कर अपने राज्य में मिला लिया था।

4. कौशल ― उत्तर प्रदेश का वर्तमान अवध प्राचीन कौशल का जनपद कहा जाता था। रामायण काल में इसकी राजधानी अयोध्या थी। यह नगर व्यापार समृद्धि के लिए सुप्रसिद्ध था।

5.  बज्जि ― यह जनपद आठ जनपदों का संघ था।वैशाली इस पूरे बज्जि संघ की राजधानी थी।

6. मल्ल ― यह राज्य भी संघ राज्य था। मल्लों की दो शाखाएं थीं– एक कुशी नगर दूसरी पावा की मल्ल शाखा। काशीर नगर में गोरखपुर के पास वर्तमान कसिया को माना है। बौद्ध धर्म के इतिहास में इन नगरों का महत्व था। बुद्ध ने अंतिम भोजन पावा में लिया था तथा उनकी मृत्यु कुशी नगर में हुई थी।

7.  चेदि ― यह राज्य कुरु के पास है जो यमुना तक फैला हुआ था। इस राज्य की राजधानी मुक्तिशाली थी जो केन नदी के तट पर थी। शिशुनाग के शासनकाल में इस राज्य की काफी उन्नति हुई थी। इस वंश की एक शाखा ने कलिंग राज्य में प्रवेश कर वहाँ अपने राज्य की स्थापना की थी।

8.  वत्स ― यह राज्य चेदि राज्य के पूर्व में यमुना के किनारे स्थित था। यहाँ का राजा उदयन बुद्ध का समकालीन था। वह बड़ा शक्तिशाली था। इस राज्य की राजधानी कौशाम्बी थी। यह राज्य दक्षिण था पूर्वी प्रदेशों से व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। अवन्ति राज्य का इस राज्य से संघर्ष रहता था। अवन्ति का राजा प्रद्योत काफी ईर्ष्यालु था। उसने क्षल कपट के द्वारा राजा उदयन को जो युद्धप्रिय तथा शक्तिशाली था, बन्दी बना लिया। यह राज्य सूती वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था। 

9. कुरु ― दिल्ली तथा मेरठ के समीपवर्ती क्षेत्र कुरु राज्य के अंतर्गत आते थे। वैदिक काल में यह राज्य काफी महत्वपूर्ण था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी।

10.  पांचाल ― पांचाल राज्य रुहेलखंड तथा मध्य दोआब क्षेत्र में था। जिसमें बदायूँ, फर्रुखाबाद तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिले थे। महाभारत काल में ही ये राज्य दो भागों में बँट गया– उत्तरी पांचाल तथा दक्षिणी पांचाल। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी जिसे अब बरेली जिले में आंवला के पास स्थित रामनगर कहते हैं। दक्षिणी पांचाल की राजधानी कांपिल थी। इन दोनों राजधानियों के शासक अपना दरबार एक-दूसरे के यहाँ लगाते थे।

11.  मत्स्य ― मत्स्य राज्य काफी बड़ा तथा चम्बल की पहाड़ियों से सरस्वती नदी के समीपवर्ती भागों तक फैला हुआ है। इसकी राजधानी विराट नगरी थी जिसमें आधुनिक जयपुर, अलवर तथा भरतपुर के कुछ राज्य सम्मिलित थे। सम्भवतः इस राज्य की स्वतंत्रता छीनने के समय तक यहाँ राजतंत्र था। इस राज्य को चेदि राज्य से मिला लिया गया था, ऐसा महाभारत में उल्लेख मिलता है तथा अंत में इसे मगध साम्राज्य में मिला लिया गया।

12.  शरसेन इस राज्य की राजधानी मथुरा साम्राज्य की भांति यमुना के तट पर बसी हुई थी। पुराणों में यमुना के राजवंश को यदुवंश कहा जाता था। ऋग्वेद में यदुवंश का काफी उल्लेख मिलता है। इसे भी मगध राज्य ने परास्त करके अपने राज्य में मिला लिया था। अपने ज्ञान, बुद्धि और वैभव की वजह से वो नगर बहुत प्रसिद्ध था।

13.  अस्सक ― यह राज्य गोदावरी के तट पर स्थित था। हैदराबाद के निजाम के क्षेत्र में पड़ने वाले बोधन नाम को हम अस्सक की राजधानी कहते हैं। बुद्ध के समय यह राज्य काफी सम्पन्न था। जातक के अनुसार यह राज्य काशी राज्य के अंतर्गत था। जिससे अनुमान लगाया जाता है कि इस राज्य को कशी ने अपने अधीन कर लिया था।

14.  अवन्ति ―  इस राज्य में आधुनिक मालवा, निमाड़ तथा निकट के मध्य प्रदेश के कुछ भाग सम्मिलित थे। इसके दो भाग थे– उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मती थी। यहाँ का शासक प्रद्योत महासेन था जो बुद्ध का समकालीन था। उसका कौशल, वत्स, तथा मगध राज्यों से संघर्ष होता रहता था। एक बार उसने कौशल नरेश को भी बन्दी बना लिया था। इसके अंतिम शासक को शिशुनाग ने परास्त किया जिसने अवन्ति को मगध राज्य में मिला लिया।

15.  गांधार ― प्राचीन गांधार में आधुनिक कश्मीर तथा तक्षशिला के प्रदेश आ जाते थे। इस राज्य की राजधानी तक्षशिला थी। ज्ञान के केंद्र के रूप में तक्षशिला काफी प्रसिद्ध था। दूर-दूर से विद्यार्थी यहाँ पढ़ने आते थे। छठी शताब्दी के मध्य में गांधार का राजा पुक्कु-साति था। उसने अवन्ति के राजा प्रद्योत को परास्त किया। छठी शताब्दी ई. पूर्व के उत्तरार्द्ध में गांधार तथा फारस के शासक का अधिकार हो गया।

16.  कम्बोज ― कश्मीर का उत्तरी भाग, गांधार के उत्तर के प्रदेश, पामीर तथा बदरूसा, कम्बोज आदि थे। इन राज्य की राजधानी रायपुर थी। ह्वेनसांग ने इस राज्य के बारे में काफी लिखा है।

                                            इन सोलह जनपदों के अलावा कई अन्य स्वतन्त्र गणतन्त्रीय राज्य थे। इनमे शाक्य, कोलिय, मगध, मोरय अधिक प्रसिद्ध थे।





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