वैदिक काल का इतिहास


1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक के समय सीमा को वैदिक संस्कृति का कालखंड माना जाता है। वैदिक काल के दो भाग हैं - ऋग्वैदिक एवं उत्तर वैदिक। आर्य सबसे पहले पंजाब तथा अफ्गानिस्तान में बसे। मैक्समूलर के अनुसार, आर्यों का मूल निवास मध्य एशिया है। इस काल की प्रमुख नदियाँ थी जैसे - कुभा (काबुल), अस्किनी (चिनाब), वितस्ता (झेलम), परूष्णी (रावी), विपाशा (व्यास), गोमल (गोमती), शतुद्रि (सतलज) आदि।

{आर्थिक विकास}

मुद्राओं पर गाय के चिह्न हुआ करते थे। वैदिक काल का उपयोगी पशु घोड़ा (अश्व) था। आर्य रथों का प्रयोग करते थे। यहाँ के निवासी लोहा, चाँदी, मछली, नमक, चावल, बाघ इन सभी से अपरिचित थे। ऋग्वेद काल में रथकार, बढ़ई, कुम्हार तथा बुनकर जैसे आदि शिल्पकारों का विवरण दिया गया है।

{राजनीतिक व्यवस्था}

राजनीतिक व्यवस्था क़बीलाई पर आधारित थी। कबीला को जन कहा जाता था और कबीले का प्रमुख राजन होता था। आर्यों की भाषा संस्कृत थी। राजा के नियंत्रण के लिए सभा, समीति जैसी संस्थाएं हुआ करती थी। परिवारों के समूह को ग्राम तथा ग्राम के प्रधान को ग्रामिणी कहा जाता था।

{सामाजिक व्यवस्था}

समाज पितृसत्तात्मक था। जीवन भर अविवाहित रहने वाली महिलाओं को "अमाजू" कहा जाता था। जातिगत भेदभाव, सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा एवं तालाक या का प्रचलन नहीं था।

{धार्मिक व्यवस्था}

ऋग्वैदिक काल में "इन्द्र" महत्वपूर्ण देवता थे, इन्हें ऋग्वेद में "पुरंदर" कहा गया है। दूसरा महत्वपूर्ण देवता अग्नि और तीसरा देवता वरूण था। ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी के रूप में सरस्वती को "नदीतमा" कहा गया है। यज्ञ में बलि के रूप में साग-सब्जी तथा जौ भेंट किया जाता था। स्तुतिपाठ तथा यज्ञ द्वारा उपासना की जाती थी। 'अस्तो मा सद्गमय' तथा 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद ऋग्वेद से लिया गया है।

उत्तर वैदिक काल

इस काल में वैदिक सभ्यता का प्रचार-प्रसार बिहार तक हो गया। काशी, कुरु और पांचाल उत्तर वैदिक काल के प्रमुख जनपद थे। सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, उपनिषदों, आरण्यकों तथा ब्राह्मण ग्रंथों की रचना इसी समय हुई थी।

(आर्थिक व्यवस्था)

उत्तर वैदिक काल में श्याम अयस (लोहे) का विवरण मिलता है। कृषि, पशुपालन तथा शिल्प यहाँ का मुख्य व्यवसाय माना जाता था। मिट्टी के एक विशेष प्रकार के बर्तन बनाए जाते थे जिन्हें चित्रित धूसर मृदभांड कहा जाता है। पशुपालन से अधिक कृषि को ज्यादा महत्व दिया जाता था।

(राजनीतिक व्यवस्था)

राजतंत्र के शासन की शुरुआत हुई, कबीले जनपदों के रूप में सामने आए। कर व्यवस्था तथा नौकरशाही का प्रादुर्भाव हुआ।

(सामाजिक व्यवस्था)

समाज में स्त्रियों की दशा में गिरावट आई और गोत्र प्रथा का प्रचलन हुआ। परिवार में पितृप्रधान और संयुक्त परिवार की व्यवस्था थी।

(धार्मिक व्यवस्था)

इंद्र के स्थान पर प्रजापति सबसे प्रिय देवता माने जाते थे। समाज में ब्राह्मणों का प्रभाव अत्यधिक बढ़ गया क्योंकि ब्राह्मण ही धार्मिक अनुष्ठान किया करते थे। जादू टोने में भी काफी विश्वास रखते थे।

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