क्यों बनाया गया एफिल टॉवर???


एफिल टावर फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित एक लौह टॉवर है। यह टावर विश्व के अद्भुत निर्माणों में से एक तथा फ्रांस की संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। 28 जनवरी 1887 को शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर इसका निर्माण हुआ था एफिल टॉवर का नाम "गुस्ताव एफिल" के नाम पर रखा गया था जो कि एक फ्रेंच सिविल इंजीनियर थे।

इस दुनिया में ऐसे बहुत से कम लोग हैं जो एफिल टॉवर के इतिहास से वाकिफ हैं। क्या था इसका इतिहास और क्यों इसे बनाया गया। एफिल टॉवर का पूरा इतिहास आपको इस आर्टिकल में जानने को मिलेगा।

फ्रेंच का इंजीनियर गुस्ताव एफिल इस टॉवर को फ्रांस में नहीं बल्कि स्पेन में बनाना चाहता था। गुस्ताव ने बहुत से बड़े काम किए हैं जैसे - रूस की एक नदी पर बड़े से बांध का निर्माण करना या पनामा की नहर का यांत्रिक दरवाजा बनाना इसके अलावा फिलीपींस में एक भव्य चर्च का भी निर्माण किया था यूरोप के एक शहर में रेलवे स्टेशन को बनाने का काम भी गुस्ताव एफिल ने किया था।

इनके हुनर को देखकर स्पेन की सरकार ने अपनी राजधानी "मैड्रिड" में गुस्ताव एफिल को एक बड़े से टॉवर के निर्माण का आदेश दिया और गुस्ताव एफिल ने इस टॉवर का प्रोजेक्ट तैयार करके स्पेन की सरकार को दे दिया लेकिन गुस्ताव एफिल ने इस मीनार का वास्तविक स्वरूप अपने देश यानी फ्रांस के पेरिस शहर में खड़ा कर दिया। फ्रांस में एफिल टॉवर को बनाना इतना आसान नहीं था। टॉवर को फ्रांस में बनाने के पीछे कुछ परिस्थितियाँ थी। बात है साल 1880 की जब जर्मनी द्वारा फ्रांस को हराया गया था उस वक्त फ्रांस में आर्थिक तंगी बहुत ज्यादा थी लेकिन इसके कुछ ही सालों में फ्रांस में विकास शुरू हुआ और आर्थिक रूप से एक दूसरे का सहयोग मिला।

उस समय अन्य देशों में भी बड़ी तेजी से विकास हो रहा था जिसमें देशों द्वारा बनाई गई इमारतें भी शामिल थी और ऐसी ही एक इमारत का निर्माण फ्रांस भी करना चाहता था। साल 1889 में फ्रांस की सरकार ने एक विश्व मेले का आयोजन किया लेकिन इस विश्व मेले के पहले फ्रांस के पेरिस में एक विशाल प्रतीक का निर्माण हुआ। शुरुआत में एफिल टॉवर एक दरवाजे के समान था और इसे तोड़ने का भी आदेश दिया गया लेकिन इसकी सुंदरता को देखते हुए लोग चाहकर भी इसको तोड़ न सके। 

लेकिन उस वक्त कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इसका जमकर विरोध किया और उन सबका ये कहना था कि एफिल टॉवर पेरिस की सुंदरता को नष्ट कर रहा है। यहाँ पर सबसे रोचक बात ये है कि आप पेरिस के किसी भी  जगह पर चले जाइए वहाँ के हर एक कोने से आपको एफिल टॉवर नजर आएगा। आज ये एफिल टॉवर लगभग 10,100 टन का है और हर 7 साल बाद इसमें 60 टन की बढ़ोत्तरी होती है।


ये तो कुछ भी नहीं है, एफिल टॉवर को एक जैसा बनाए रखने के लिए उसे 61,000 लीटर ऑयल पेंट से रंगा जाता है जिसके लिए 30-35 कारीगर मिलके इस काम को पूरा करने में सफल होते हैं और। अब तक इस टॉवर को 19 बार रंगा जा चुका है। एफिल टॉवर को बनाने के लिए 15,000 तरह के अलग अलग पार्टस का प्रयोग किया गया है और यही कारण है कि एफिल टॉवर आज भी मजबूती के साथ खड़ा है। 

क्या आपको पता है कि अगर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बवंडर आ जाए तो तब भी ये टॉवर वैसा का वैसा ही रहेगा। हाल ही में इसे कांस्य रंग से रंगा गया है जो दिखने में काफी आकर्षक लगता है।एफिल टॉवर की ऊँचाई 300 मीटर (984 फीट) है।

◆ एफिल टॉवर को धातु से बनाया गया है जिसके कारण यह सर्दियों के मौसम में खुदबखुद 6 इंच सिकुड़ जाती है।

◆ अब तक के समय में इस टॉवर को 25 करोड़ से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं और हर साल 70 लाख से भी अधिक लोगों की संख्या इसे देखने आती है।

◆ एफिल टॉवर को गुस्ताव एफिल ने डिजाइन किया था साथ ही गुस्ताव एफिल ने "स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी" के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था।

◆ एफिल टॉवर को बनाने में 2 साल 2 महीनें और 5 दिन लगे थे और 31 मार्च 1889 में ये पूरी तरह बनकर तैयार हुआ।

◆ जब फ्रांस की आजादी के सौ साल पूरे हो गए तब एफिल टॉवर को बनाया गया था।


 

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