इंटरपोल ने चलाया ऑपरेशन थंडर
आज का मानव सिर्फ अपने मतलब के लिए अनबोले जानवरों का इस्तेमाल ऐसे कर रहा है मानों उन्हें जीने का अधिकार ही नही है | जानवर सदियों से मानव के संघर्ष का हिस्सा रहे है और आज के आधुनिक युग में भी मानव न सिर्फ विज्ञान और तकनीक का बल्कि जानवरों की प्राकृतिक क्षमताओं का भी इस्तेमाल अभियानों में कर रहा है | थंडर 2025 एक गुप्त कार्रवाई आधारित ऑपरेशन था जिसमें मौत के मुहाने पर खड़े हजारों जानवरों की जिंदगी बचाई गई |
केप टाउन से शुरू हुआ थंडर 2025
इंटरपोल द्वारा चलाया गया ऑपरेशन थंडर जिसमें 134 देशों ने मिलकर दुर्लभ जानवरों को नया जीवन प्रदान किया | दुनिया भर में फैला अवैध वन्यजीव तस्करी का नेटवर्क तोड़ने के लिए ये अभियान शुरू किया गया था | इन देशों ने एकजुट होकर शांतिपूर्वक ऐसी रणनीति बनाई जिससे करीब 30,000 जानवरों को तस्करों के चंगुल से छुड़ा लिया गया | बरामद किए जाने पर नए खुलासे और बड़े अपराध सामने आते गए | इस दौरान बरामद किए गए -
- प्राइमेट्स की खोपड़ियाँ
- समुद्री जीवों के अवशेष
- दुर्लभ तितलियों की खेप
- कई जिंदा जानवर
- हाथियों की आइवरी
- दुर्लभ पौधे
- अवैध रूप से काटी गई लकड़ियाँ और
- पैंगोलिन के शल्क
एक महीने तक चला थंडर 2025
इंटरपोल ने जानकारी दी कि ये एक महीने तक चलने वाला अभियान था जिसका आयोजन 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच किया गया | इसके साथ ही 134 देशों की वन्य और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी एजेंसियाँ भी इसमें शामिल हुई और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत सहयोग का प्रदर्शन किया | इस ऑपरेशन के तहत चार हज़ार छः सौ से अधिक विषयों पर कार्रवाई की गई |
तीस हज़ार जीवों की रक्षा
ऑपरेशन थंडर में रेस्क्यू किये गए कुल तीस हज़ार जीव , जिनमें -
- छः हज़ार से अधिक पक्षी
- एक हज़ार से अधिक रेप्टाइल्स
- दो हज़ार से अधिक कछुए
- दो सौ से अधिक प्राइमेट और
- दस बड़े शिकारी
इंटरपोल की जानकारी के अनुसार वन्यजीव अपराध का वार्षिक मूल्य 20 बिलियन डॉलर से अधिक का है | ऑपरेशन थंडर ने दुनिया को साफ़ संदेश दिया है - वन्यजीव तस्करों के लिए रास्ते बंद हो रहे है और अब ये दुराचार बर्दाश नहीं किया जाएगा |
ये अभियान दर्शाता है कि अगर दुनिया एकजुट हो जाए तो वन्यजीवों को बचाना संभव है और ऑपरेशन थंडर 2025 ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाई है |

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