गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है??

हिंदू धर्म में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। उन्ही त्यौहारों में से एक त्यौहार ऐसा भी है जो गुरु के लिए मनाया जाता है। पूर्णिमा शब्द किसी भी कार्य या भाव को दर्शाता है और संस्कृति में एक श्लोक में -

          गुरूब्रम्हा ग्रुरूविष्णु: गुरूदेर्वो माहेश्वर:।

        गुरू-साक्षात-परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरूवे नमः।

अर्थात गुरु को ब्रह्म, विष्णु और महेश का साक्षात रूप माना गया है। महाभारत के रचयिता कृष्णदेवपायन व्यास का जन्मदिन भी इसी दिन आता है। ये संस्कृति के बहुत बड़े विद्वान थे, जिन्होंने चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) की रचना की थी। इसलिए इनका एक नाम वेदव्यास भी है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। 

हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु का जो स्थान है वो भगवान से भी ऊँचा है।

गुरु को ही भगवान का दूसरा रूप माना गया है। गुरु ही वो हैं जो हमारे जीवन से अंधकार और अज्ञानता को मिटाते हैं और हमें इस लायक बनाते हैं जिससे हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जाएं। गुरु पूर्णिमा आषाण मास के शिवपक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

पुराणों के अनुसार भगवान शिव को सबसे पहला गुरु माना गया है क्योंकि परशुराम और शनिदेव भगवान शिव के ही शिष्य हैं। भगवान शिव ने ही इस धरती पर सभ्यता और धर्म का प्रचार और प्रसार किया।

Post a Comment

और नया पुराने