कपिल देव का जीवन परिचय (Biography)
कपिल देव जैसा महान क्रिकेटर होना हमारे भारत के लिए बड़े गर्व की बात है। एक ऐसे आलराउंडर जिन्होंने पहली बार 1983 में वर्ल्ड कप का खिताब भारत के नाम करवाया। कपिल देव एक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं इसके साथ वो एक बेहतरीन फिल्डर और बाॅलर भी हैं।
इतना ही नहीं, साल 1999 में BCCI (The Board of Control For Cricket in India) ने कपिल देव जी को भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया। कपिल देव जी ने 5 हज़ार रन और 400 से भी अधिक विकेट लिए हैं और ये इनके टेस्ट मैचों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।
कपिल देव जी की जीवनी
पूरा नाम→कपिल देव रामलाल निखंज
जन्म→6 जनवरी 1959, चंडीगढ़ (भारत)
माता का नाम→राजकुमारी लाजवंती
पिता का नाम→रामलाल निखंज
पत्नी का नाम→रोमी भाटिया
बेटी का नाम→अमिया देव
कपिल देव जी सात भाई-बहन हैं जिनमें वो अपनी माँ बाप के छठवीं संतान हैं। भारत और पाक के विभाजन से पहले कपिल देव जी का परिवार रावलपिंडी (पाक) में रहता था लेकिन जब भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बन गए तब उनका परिवार भारत में रहने लगा।
इनकी पढ़ाई डी.ए.वी काॅलेज (चंडीगढ़) से शुरू हुई और वहीं ग्रेजुएशन इन्होंने सेंट एडवर्ड काॅलेज से पूरी की। 21 साल की उम्र में (1980) कपिल देव जी ने रोमी भाटिया से शादी कर ली और कुछ ही सालों में उन्हें एक लड़की हुई जिसका नाम अमिया देव है।
कपिल देव जी का क्रिकेट में योगदान
सबसे पहले 1975 में हरियाणा टीम के लिए खेलकर कपिल देव जी ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। इनका पहला मैच पंजाब के साथ था जिसमें वो 6 विकेट से पंजाब टीम को हरा दिए थे। हरियाणा में एक बेहतरीन प्रदर्शन के बाद 1976 और 1977 में जम्मू कश्मीर के खिलाफ खेला और 8 विकेट, 36 रन के साथ इस मैच को भी पूरा किया।
बंगाल के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान उन्होंने 7 विकेट लेकर 20 रन बनाए थे। कपिल देव जी एक प्रतिभावान तथा बेहतरीन खिलाड़ी हैं जिसके लिए उन्हें साल 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला इंटरनेशनल टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला।
1979-1980 में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ खेलकर 193 रन बनाया और यहीं से उनकी पहली सेंचुरी की शुरुआत हुई। 1983 में कपिल देव जी को भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बना दिया गया। 1983 में हुए वर्ल्ड कप में कपिल देव जी ने शानदार प्रदर्शन के साथ इतिहास रच डाला और इस मैच को जीतने के बाद भारत को पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब जीतने का अवसर प्राप्त हुआ। यहीं से भारत को क्रिकेट की दुनिया में एक नई पहचान मिली।
1984 में हुए वनडे टेस्ट मैच (वेस्टइंडीज के खिलाफ) में भारतीय टीम हार गई जिसके कारण कपिल देव जी से कप्तान का पद छीन लिया गया और उनके स्थान पर सुनील गावस्कर को रखा गया। लेकिन एक बार फिर उन्हें कैप्टन बनाया गया। 1987 में जब भारत और इंग्लैंड के बीच वर्ल्ड कप हुआ तो भारत इंग्लैंड के सामने टिक न सका और एक बार फिर भारत को हार स्वीकार करनी पड़ी और इस बार कपिल देव जी के बारे में लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। उनके प्रदर्शन पर लोगों ने आरोप लगाना शुरू कर दिया। यही उनकी अंतिम कप्तानी थी जिसके बाद 1994 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
कपिल देव : पुरस्कार/सम्मान
1980 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार
1982 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया
1983 में विज्डन क्रिकेट ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया
1991 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार पद्म भूषण से पुरस्कृत किया गया
2002 में विज्डन क्रिकेटर का खिताब दिया गया
2010 में ICC (Indian Cricket Council) क्रिकेट हाॅल ऑफ फेम अवार्ड से सम्मानित किया गया
2013 में सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया।
कपिल देव से संबंधित रोचक जानकारियाँ
कपिल देव क्रिकेटर के साथ साथ एक बिजनेसमैन भी हैं। चंडीगढ़ और पटना में उनका खुद का दो रेस्टोरेंट भी है जिसका नाम कैप्टेन्स एलेवेन है। इसका उद्घाटन साल 2006 में हुआ था।
क्रिकेट की दुनिया में शुमार कपिल देव ने तीन आत्मकथाएँ लिखी हैं - गोड्स डिक्री, क्रिकेट माय स्टाइल और स्ट्रेट फ्राम माय हार्ट।
उनके क्रिकेट लाइफ की सबसे अद्भुत बात ये है कि किसी भी दुर्घटना या चोट की वजह से वो कभीका मैच से बाहर नहीं हुए।
अपने पूरे टेस्ट मैच करियर में 131 मैच खेले हैं। इंग्लैंड के जाने माने खिलाड़ी "इयान बाॅथम" के बाद कपिल देव दुनिया के दूसरे आलराउंडर हैं।
5 हज़ार रन और 400 से ज्यादा विकेट लेने वाले कपिल देव का अपना रिकाॅर्ड है जिसे 2000 में वेस्टइंडीज के बाॅलर कोर्टनी वाॅल्श ने तोड़ा था।
कपिल देव बहुत सी कंपनियों का विज्ञापन भी कर चुके हैं। जैसे - हीरो होंडा बाइक, क्रोसीन पेन रिलीफ, बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस, स्पोर्ट्स शूज।
कपिल देव जी क्रिकेट से संन्यास ले लिए लेकिन आज भी वो भारतीय टीम को सपोर्ट करते हैं। इंडियन प्लेयर्स को पहले से और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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