अडोल्फ हिटलर का जीवन परिचय:-

अडोल्फ हिटर एक समय का सबसे क्रूर तानाशाह हुआ करता था। आज पूरी दुनिया में उसका नाम है। उस समय इस नाम का खौफ केवल जर्मनी को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को था। अडोल्फ हिटलर ने यहूदियों पर हद से ज्यादा अत्याचार किया। अपनी क्रूरता से हमेशा लोगों को डराकर रखता था और लोगों को भी उसकी बातें माननी ही पड़ती थी क्योंकि आदेश ना पालन करने का परिणाम बहुत ही बुरा होता था।

वो हिटलर ही था जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ और उसमें हजारों, लाखों लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। इतिहास का ये खूँखार शासक जो विश्व भर में राज करना चाहता था लेकिन वो असफल रहा। आईए जानते हैं कि क्या थी हिटलर की पूरी कहानी*****


हिटलर की जीवनी (एक नजर में)

वास्तविक नाम - अडोल्फ शिकेलग्रुबर
जन्म - 20 अप्रैल, 1889
स्थान - ब्रौनो. एम इन (ऑस्ट्रिया-हंगरी)
माता - क्लारा हिटलर
पिता - एलोईस हिटलर
पत्नी - ईवा ब्रौन
मृत्यु - 30 अप्रैल, 1945

हिटलर का जन्म 20 अप्रैल सन् 1889 को ब्रौनो एम इन (ऑस्ट्रिया-हंगरी) में हुआ था। इनकी माता क्लारा हिटलर और पिता एलोईस हिटलर थे। अडोल्फ हिटलर अपनी माँ बाप के चौथी संतान थे। जब हिटलर महज 3 वर्ष के थे तब वो और उनका परिवार ऑस्ट्रिया को छोड़कर जर्मनी में रहने लगा जहाँ से हिटलर ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। अडोल्फ हिटलर पढ़ाई में बहुत तेज थे। शुरुआती दिनों में सबकुछ ठीक से चल रहा था लेकिन उनके पिता चाहते थे कि अडोल्फ तकनीकी क्षेत्र में अपना करियर बनाए वहीं हिटलर को फाइन आर्ट्स में रूचि थी।

हिटलर के पिता ने सन् 1900 में उनका एडमिशन लिंज में करवा दिया और यहीं से उनकी शिक्षा शुरू हुई। जिसके बाद से हिटलर जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव के हो गए क्योंकि उनके अनुसार पिता ने उनको शिक्षा नहीं दिलाई जैसा कि हिटलर चाहते थे। हिटलर अभी पढ़ाई ही कर रहे थे कि उनके पिता की मृत्यु हो जाती है और जिस स्कूल में उन्होंने एडमिशन लिया था वहाँ पर उनका मन नहीं लगता था जिसके कारण रिजल्ट भी बहुत अच्छा नहीं आया और अंत में स्कूल भी छोड़ दिया।

फाइन आर्ट्स में अपना करियर बनाने के लिए उन्हें उनकी माँ का सहारा मिला। अडोल्फ हिटलर एक चित्रकार बनना चाहते थे जिसके लिए वो वियना चले गए। लेकिन कहते हैं न कि सफलता यूँ ही नहीं मिलती, सफलता हासिल करने के लिए हमें बहुत सी चीजों का त्याग करना पड़ता है। वो वियना तो गए लेकिन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स ने हिटलर को दो बार रिजेक्ट कर दिया। इसी दौरान उनकी माँ की भी मृत्यु हो गई। अपना गुजारा करने के लिए हिटलर पेंटिंग बनाकर बेचा करते थे।

प्रथम विश्व युद्ध में हिटलर की भूमिका

19वीं सदी के दौरान यहूदियों का प्रभुत्व बहुत ज्यादा था इसके अलावा वो काफी धनवान और बुद्धिमान भी हुआ करते थे। जिस वजह से उन्हें लोगों की तुलना में अधिक सुविधाएँ दी जाती थी और यही कारण था जिसकी वजह से यहूदी और अन्य लोगों में असमानता की भावना जागरूक हुई। यहूदियों को ज्यादा छूट मिल जाने पर और उन्हें अधिक सुविधा देने पर हिटलर भी यहूदियों से नफ़रत करने लगा था।

वहीं जर्मनी की आर्थिक दशा खराब होने के कारण लोग विकास के लाभ से वंचित होते जा रहे थे। युवाओं में विरोध तथा अहिंसा करने जैसी स्थितियाँ बन रही थी। जर्मनी में आर्थिक समस्या की वजह से हिटलर सेना के रूप में भर्ती हुए (प्रथम विश्व युद्ध में) और फ्रांस की लड़ाई का हिस्सा बनें। सन् 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। इस लड़ाई में हिटलर घायल भी हुए और उन्हें इस बात का दुख भी था कि जर्मनी हार गया।

जर्मनी की हार का जिम्मेदार यहूदियों और साम्यवादियों को बताया गया। 1918 में प्रथम विश्व युद्ध खत्म होने के बाद इसी साल हिटलर ने नाजी दल का गठन किया और साम्यवादियों तथा यहूदियों के अधिकारों को छीनना नाज़ी दल का मुख्य उद्देश्य था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली लेकिन धीरे धीरे हिटलर का प्रभुत्व बढ़ता गया वो एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभरा।

हिटलर यहूदियों के विरुद्ध तो था ही लेकिन अन्य धर्मों से भी वह बेहद नफ़रत करता था। 1923 के दौरान हिटलर ने जर्मनी की सरकार को भंग करना चाहा लेकिन वह असफल रहे और बाद में उन्हें जेल भी हुई।

राजनीतिक क्षेत्र : अडोल्फ हिटलर

जर्मन के मूल नागरिकों के हित में हिटलर ने काफी कुछ किया जिससे वो और भी लोकप्रिय हो गए। हिटलर अपनी लोकप्रियता से बेहद खुश था और 1932 में राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लिया लेकिन इस बार फिर अडोल्फ हिटलर की हार हुई। हिटलर को अपने राष्ट्र से बड़ा लगाव था जिसके कारण साल 1933 में उन्हें जर्मनी का चांसलर घोषित किया गया। अब हिटलर का राज शुरू हुआ। चांसलर के पद पर आते ही उसने जर्मनी के संसद को भंग कर दिया, साम्यवादी दलों पर रोक लगा दी और क्रूर हिटलर जर्मनी को पूरी तरह से अपने वश में कर लिया।

ये जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि हिटलर ने अल्पसमय में पूरे जर्मनी पर राज किया था। जर्मनी में ही नहीं बल्कि अन्य यूरोपीय देशों में भी हिटलर का खौफ गूँजने लगा। अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए उसने सभी मंत्रियों को मार डाला और खुद ही उनके पदों को अपने अधीन कर लिया। अडोल्फ हिटलर एक क्रूर तानाशाह के रूप में जाना जाने लगा।

उसने किसी भी धर्म के लोगों को नहीं छोड़ा एक एक कर के सभी को मौत के घाट उतार दिया। यहाँ तक की उसने सोवियत संघ (रूस) पर भी आक्रमण करने की कोशिश की लेकिन वह नाकामयाब रहा। इतनी ज्यादा मौतें, अत्याचार और धार्मिक विवादों को देखते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध की तैयारी की जाने लगी।

द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर का प्रदर्शन

सत्ता में कदम रखते ही हिटलर ने कई देशों के साथ संधि की जैसे फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य देश। लेकिन कुछ समय बाद हिटलर सभी समझौते का उल्लंघन करते हुए कमजोर देशों को अपने कब्जे में करने की सोचने लगा। हिटलर ने 1937 में इटली के साथ एक संधि की और इटली को अपने कब्जे में कर लिया। चेकोस्लोवाकिया जहाँ जर्मनी के लोग रहते थे इसके भी कई हिस्सों पर उसने कब्जा करने की कोशिश की। 

धीरे धीरे उसने एक एक कर के लगभग देशों को अपने कब्जे में कर लिया था। इसके अलावा उसने सोवियत संघ के साथ संधि की और पोलैंड को हड़प लिया। पोलैंड (मित्र राष्ट्र) को बचाने के लिए ब्रिटेन ने अपने सैनिकों को भेजा क्योंकि उस वक्त ब्रिटेन एक शक्तिशाली देश हुआ करता था और अब शुरू हुआ द्वितीय विश्वयुद्ध।

पहले तो मुसोलिनी (इटली का तानाशाह) और हिटलर दोनों ने मिलकर एक समझौता किया जिसके जरिए रूम सागर के इलाके को कब्जा कर लिया गया। सोवियत संघ के कुछ प्रांतों पर भी हमला करना चाहा लेकिन सफल न हो सका। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका का आगमन होते ही जर्मनी की हालत बेहद नाजुक हो गई। 

ये युद्ध इतिहास का सबसे खतरनाक युद्ध था जिसमें बेकसूरों की लाशें बिछी हुई थी। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे महाशक्तिशाली देशों के सामने हिटलर कमजोर पड़ गया और वह ये युद्ध हार। इस हार का सदमा हिटलर बर्दाश्त नहीं कर पाया।


हिटलर का लोगों पर अत्याचार

इतिहास का सबसे क्रूर शासक जिसका हृदय छोटे छोटे बच्चों पर अत्याचार करते हुए नहीं पिघला। यहूदियों को जड़ से खत्म करने वह उन्हें जेल में कैद कर देता था और उन सबको मार डालने के बाद भठ्ठी में जला दिया जाता था। बच्चों को ऐसे इंजेक्शन दिए जाते थे जिसमें जहरीले पदार्थ होते थे और उनके आंतरिक शरीर के हिस्सों को निकाल लिया करते थे।

अडोल्फ हिटलर का अंतिम समय

जिस समय हिटलर की मौत हुई उसके कुछ घंटे पहले ही उसने अपनी प्रेमिका ईवा ब्रौन से शादी की। 29 अप्रैल, 1945 को उसने शादी की और उसके अगले ही दिन यानी 30 अप्रैल, 1945 को उसने खुद को गोली मारकर इस दुनिया से अपना किस्सा खत्म कर दिया।

1938 में अमेरिकी समय पत्रिका (American Time Magzine) ने हिटलर को मैन ऑफ द ईयर का टाइटल दिया था।

1939 में अडोल्फ हिटलर को नॉबेल पुरस्कार के लिए नियुक्त किया गया।

● हिटलर बहुत नशा करता था लेकिन अपने देश में नशा करने वालों का विरोध करता था।

 "हिटलर कहते थे कि यदि आप किसी राष्ट्र को हासिल करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम वहाँ के नागरिकों को अपने वश में कीजिए".....










  

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