प्रथम विश्व युद्ध (First World War) क्यों हुआ??

कई प्राचीन साम्राज्य, अनेकों देश एवं महाद्वीपों से लड़ा जाने वाला ये युद्ध प्रथम विश्व युद्ध के नाम से जाना गया। प्रथम विश्व युद्ध "द ग्रेट वार" "द वार टू इंड आल वार्स" और "ग्लोबल वार" के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना था कि ये युद्ध अब तक का सबसे बड़ा युद्ध है और आने वाले कई सालों तक कोई युद्ध नहीं होगा लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के बाद द्वितीय विश्व युद्ध भी हुआ। प्रथम विश्व युद्ध 29 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला। ये युद्ध दो समूहों के बीच हुआ था। एक ओर मित्र शक्तियाँ थी जिसमें रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, और संयुक्त राष्ट्र शामिल था। वहीं दूसरी ओर केंद्र शक्तियाँ थी जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की) शामिल थे।

प्रथम विश्व युद्ध को समझने से पहले हमें ये जान लेना जरूरी है कि आखिर क्या था जिस वजह से इस युद्ध को लड़ा गया।ऐसी क्या वजह थी या ऐसी क्या मजबूरी थी जिसके कारण पूरे विश्व में 9 लाख से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी।
 

संधियाँ (Alliances)

इसके कारण भी कई देशों ने युद्ध में हिस्सा लिया। अपनी शक्तियों के संतुलन को बनाए रखने के लिए अलग अलग देशों ने एक दूसरे के साथ गुप्त समझौते कर लिए, अन्य देशों को भनक तक भी नहीं लग पाई कि इन देशों ने मिलकर आपसी समझौते किए हैं। देशों के बीच कुछ मुख्य संधियाँ भी हुई जिनमें से पहला समझौता था - Triple alliance ये 1882 में जर्मनी, इटली और ऑस्ट्रिया-हंगरी के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत अगर कोई देश इनमें से किसी एक पर भी आक्रमण करता है तो तीनों देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। सन् 1907 में Triple entente समझौता फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के बीच हुआ था।

सैन्यवाद (Militarism)

प्रत्येक देश खुद को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हथियार, टैंक्स, मशीनी बंदूक, अधिक शक्तिशाली सेना और जहाज बनाने की कोशिश में लगा था। इन क्षेत्रों में ब्रिटेन और जर्मनी सबसे आगे था क्योंकि यहाँ पर औद्योगिक क्रांति काफी तेजी से बढ़ रही थी। इन देशों को देखते हुए अन्य देश भी खुद को अधिक मजबूत बनाना चाहते थे और आगे चलकर सैन्यवाद भी प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण बना।

साम्राज्यवाद (Imperialism)

उस समय के पश्चिमी यूरोपीय देश दूसरे देशों पर अपना अधिकार जमाकर अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत बनाना चाहते थे और ब्रिटेन इसमें सबसे आगे था जिसने भारत को भी अपने कब्जे में कर लिया था। एक समय ऐसा भी आया जब ब्रिटेन 25% दुनिया पर राज कर चुका था।

आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की मृत्यु (28 जून 1914)

इस घटना का प्रथम विश्व युद्ध से गहरा संबंध है। आर्चड्यूक ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार थे और कुछ ही दिनों में राजा बनने वाले थे लेकिन ब्लैक हैंड संगठन (सर्बिया) द्वारा आर्चड्यूक को मार दिया गया। ऑस्ट्रिया-हंगरी ने बिना युद्ध किए सर्बिया को अपने हवाले होने के लिए कहा। सर्बिया ने रूस से सहायता मांगी क्योंकि इन दोनों देशों में Salvic लोग रहते थे और ऑस्ट्रिया-हंगरी ने जर्मनी से मदद मांगी क्योंकि इन दोनों में 1882 में एक संधि (Triple alliance) हुई थी। जर्मनी ने भी ऑस्ट्रिया-हंगरी का साथ दिया। इसे जुलाई संकट के नाम से भी जाना जाता हैं।

युद्ध की घोषणा

ऑस्ट्रिया-हंगरी और जर्मनी ने सर्बिया पर आक्रमण करने की घोषणा कर दी। उसके बाद रूस ने जर्मनी पर आक्रमण करने की घोषणा की और कुछ ही दिनों में फ्रांस भी जर्मनी के खिलाफ हो गया। इटली जो की ऑस्ट्रिया-हंगरी और जर्मनी के साथ एक संधि में बँधा हुआ था उसने यह कहकर अपने दल को छोड़ा कि उसका समझौता केवल सुरक्षा के आधार पर हुआ था ना कि आक्रमण करने के लिए।

अगस्त 1914 में युध्द की शुरुआत हुई। सर्वप्रथम जर्मनी ने फ्रांस पर हमला किया क्योंकि रूस की सैन्य शक्ति और अन्य संसाधन काफी मजबूत थे और फ्रांस का रास्ता साफ करना चाहते थे। जैसे ही जर्मनी बेल्जियम के रास्ते से फ्रांस में घुसे वैसे ही ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया क्योंकि ब्रिटेन और बेल्जियम कहा के बीच 1939 में एक संधि हुई थी। इसलिए ब्रिटेन ने भी अपनी सेना को फ्रांस की सहायता के लिए भेज दिया। जर्मनी फ्रांस में घुस तो गया लेकिन फ्रांस को हरा न सका क्योंकि उसके पक्ष में ब्रिटेन खड़ा था। 

वहीं पूर्वी में स्थित रूस के तीन लाख सैनिकों को मार दिया। उसके बाद ऑटोमन साम्राज्य ने रूस पर 29 अक्टूबर1914 में आक्रमण किया क्योंकि इन दोनों की दुश्मनी बहुत पुरानी थी और एक दूसरे पर अपना कब्जा करना चाहते थे, दूसरा कारण यह भी था कि रूस जिस समुद्री मार्ग से दुनिया के साथ जुड़ा था वो ऑटोमन साम्राज्य के पास दार्दानेल्ज जलसंधि (Dardanelles Straits) की ओर से जाता था। उसके बाद ऑटोमन साम्राज्य ने स्वेज नहर (Suez Canal) पर हमला बोल दिया क्योंकि ब्रिटेन और भारत को जोड़ने वाली ये मुख्य कड़ी थी लेकिन बाद में इसे बचा लिया गया।

लगभग तीन साल तक ना जर्मनी आगे बढ़ा और ना ही फ्रांस। उस समय अधिकतर युध्द खाइयों में हुआ करता था। बैटल ऑफ द सॉम (Battle of the Somme) ये 1 जुलाई 1916 से 18 नवंबर 1916 तक चला। इसमें मित्र राष्ट्र के एक दिन में 80,000 सैनिक मारे गए जिनमें से कुछ ब्रिटेन के थे। फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी की कालोनियों पर हमला किया। ब्लैक सी में ऑटोमन साम्राज्य ने कुछ बंदरगाहों पर हमला करना शुरू कर दिया। जर्मनी और ब्रिटेन में नवल युद्ध शुरू हुआ लेकिन जर्मनी द्वारा बनाई गई पनडुब्बी ने मित्र राष्ट्र के जहाजों पर हमला करना शुरू कर दिया। इन पनडुब्बियों को e-boats भी कहते थे।

1917 में अमेरिका का आगमन

पहले तो जर्मनी मित्र राष्ट्रों के जहाजों पर ही आक्रमण करता था लेकिन बाद में जर्मनी ने सवारी जहाजों पर भी हमला करना शुरू कर दिया जिसमें आम इंसान अमेरिका से यूरोप जाया करते थे। एक बार ऐसे ही एक नाव में1200 लोगों की मौत हो गई थी। यही कारण था कि साल 1917 में अमेरिका भी इस युद्ध का हिस्सा बना क्योंकि इस हमले में अमेरिका के लोग भी मारे गए थे।

युद्ध का अंत

अब संयुक्त राष्ट्र लगातार अपने 10,000 सैनिक ब्रिटेन की तरफ से जर्मनी के खिलाफ भेज रहा था और दूसरी तरफ रूस में एक क्रांति हुई जिससे फरवरी 1917 में एक सरकार गठित हुई। कुछ समय बाद अक्टूबर 1917 में एक और क्रांति उभर कर आई जिसमें एक नेता व्लादिमीर लेनिन ने जर्मनी के साथ शांति का समझौता किया और अपनी तरफ से युद्ध को रोक दिया। एक ओर जर्मनी के खिलाफ ब्रिटेन और फ्रांस का युद्ध चल रहा था और अब अमेरिका भी ब्रिटेन के साथ था।

मित्र राष्ट्र की सेना ने हमले को जारी रखा और केंद्र शक्तियों जर्मनी, ऑटोमन साम्राज्य और ऑस्ट्रिया-हंगरी को हरा दिया। 11 नवंबर1918 को सुबह 11 बजे जर्मनी के युद्ध विराम समझौते (Ceasefire agreement) पर हस्ताक्षर किया गया। 28 जून 1999 को वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) पूरी हुई। इसके अनुसार जर्मनी को इस युध्द का दोषी बताया गया साथ ही जर्मनी को जुर्माना भी भरना पड़ा और साल 2010 में जाकर जर्मनी अपने जुर्माने को पूरा कर पाने में सफल रहा।

निष्कर्ष

इस युद्ध के परिणामस्वरूप बहुत से साम्राज्य का पतन हो गया। जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, रूस, ऑटोमन साम्राज्य। अन्य नए देश भी उभर कर सामने आए जैसे ऑस्ट्रिया, हंगरी, युगोस्लाविया, पोलैंड, इंग्लैंड, लात्विया और लिथुआनिया।पुरुषों की संख्या बहुत कम हो गई और प्रथम विश्व युद्ध के बाद कई देश कर्ज में डूब गए।





 

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