चीन की सभ्यता क्या थी?

विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला देश होने के बाद भी चीन में गरीबी न के बराबर है और आज चीन हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। ये आज की बात नहीं है जब पृथ्वी पर सभ्ताएँ जन्म ले रही थी तब चीन की सभ्यता का भी विकास हुआ और अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा चीन काफी विकसित था। पुरात्विकों के अनुसार चीन की सभ्यता 225 लाख साल पुरानी है।


छोटी छोटी खोज करके यहाँ के लोग हर क्षेत्र में उन्नति किए। बारूद, कागजी मुद्रा, स्याही, दिशासूचक यंत्र और चित्रकला इन सब की खोज सर्वप्रथम चीन में ही हुई थी। कुछ ऐसे महान विचारक भी थे जिन्होंने इसी सभ्यता में जन्म लिया जिनमें से लाओत्से और कन्फ्यूशियस प्रमुख थे।

राजनीतिक विकास

चाऊ सरदार ने शांग शासकों को परास्त कर सैकड़ों छोटे बड़े नगरों एवं राज्यों पर कब्जा कर लिया। आठवीं शताब्दी ई.पू. अर्थात उत्तर वैदिक काल तक छोटे छोटे राज्य मिलाकर 12 बड़े राज्यों का गठन किया गया। ये सभी राज्य लोयाड में स्थित केंद्रीय चाऊ सरकार के आदेश को ये लोग स्वीकार करते थे। तीसरी शताब्दी ई.पू. में चीन में तीन बड़े राज्य थे - चिन, चु और चि। 221 ई.पू. में चिन का शासक तीन राज्यों का सम्राट बन गया।

चिन शासकों में ही एक शासक था 'शीह हुआंग टी' (224-210) जिसने अपने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए 200 ई.पू. के आसपास "द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना" का निर्माण करवाया जिसे विश्व के 7 अजूबों में भी शामिल किया गया है। लगभग 202 ई.पू. में हांग वंश के राजाओं ने चिन वंश से उनका शासन छीन लिया। हान वंश के सम्राटों ने लगभग 400 वर्ष तक शासन किया। इस वंश के समय में चीन का बहुत विकास हुआ। जिसके बाद घरेलू युद्ध, वाद विवाद तथा अव्यवस्था का दौर शुरू हुआ। 589 ई. में सुई वंश ने चीन में फिर से एक संगठित साम्राज्य की स्थापना की।

सामाजिक संगठन एवं शासन

प्राचीन काल में चीन का समाज वर्गों में बँटा हुआ था। चीन में कोई भी व्यक्ति शिक्षा के द्वारा उच्च स्थिति को प्राप्त कर सकता था। प्राचीन चीन का समाज मुख्यतः पाँच वर्गों में बँटा हुआ था। शासक वर्ग के नीचे बुद्धिजीवी, व्यापारी, कारीगर, किसान एवं दास वर्ग थे। हान शासकों के राजनीति सिध्दांतों और कार्यप्रणाली पर कन्फ्यूशियस की शिक्षाओं का प्रभाव पड़ा जिनके नाम पर एक धर्म का भी प्रचलन हुआ था - कन्फ्यूशियस धर्म। कन्फ्यूशियस 500 ई.पू. में विद्यमान था और उसी समय इन्होंने अपनी शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।

कन्फ्यूशियस ने तत्कालीन सामाजिक बुराईयों का अध्ययन किया और उसने एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार को बनाने का विचार किया। इसके अलावा साहित्य पढ़कर नवयुवकों को सार्वजनिक सेवा के लिए चुना जाए और उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाए। ऐसे विद्वानों को चीन में "मंदारिन" के नाम से जाना जाता था।

प्राचीन चीन में आर्थिक व्यवस्था

चीनियों के आर्थिक जीवन का आधार कृषि था। कृषि पर ही लोग निर्भर थे। जिस प्रकार मिस्र की सभ्यता का विकास "नील नदी" के पास हुआ, सिंधु सभ्यता "सिंधु नदी" के आसपास बसी, उसी तरह चीन की सभ्यता का उदय "ह्वांगहो नदी" के निचले हिस्से बेसिन में हुआ था और चीनी लोग इसे पीली नदी कहते थे। बाढ़ के समय ये नदी बहुत सारी जलोढ़ मिट्टियां बहाकर ले आती थी जिससे यहाँ के लोग कृषि के लिए इसी मिट्टी का प्रयोग करते थे।

रेशम के लिए चीन बहुत प्रसिद्ध था। रेशम को कातना और उसे बुनना दोनों ही उद्योग में शामिल था। कांसे के ढ़ाले हुए संदूक तथा कांसे के दर्पण का साक्ष्य चीनी सभ्यता से ही प्राप्त हुआ था। लोहे की वस्तुएँ, रेशम, मिट्टी के बर्तन एवं अन्य सामग्रियाँ रोमन साम्राज्य के निवासियों को बेचा जाता था।

चीन के धर्म

प्राचीन चीन के मुख्य दो बड़े धर्म थे - 'ताओ धर्म' और 'कन्फ्यूशियस धर्म'। बात करें अगर ताओ धर्म की तो इस धर्म के संस्थापक "लाओत्से" थे। लाओत्से का शाब्दिक अर्थ है - 'प्राचीन आचार्य' इनका जन्म 604 ई.पू. में हुआ था। लाओत्से ने 'ताओ ते किंग' नाम की एक छोटी पुस्तक लिखी जिसमें ताओ धर्म का उल्लेख किया गया है। ताओ का शाब्दिक अर्थ 'मार्ग' यानी विश्व का प्रमुख सिद्धांत है। लाओत्से का सिद्धांत व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा हुआ था कि किस तरह से मनुष्य अपने जीवन में आध्यात्मिक रास्ते पर चल सकता है।


शुरू में ताओ धर्म द्वारा ज्ञान तथा शिक्षा का विस्तार हुआ लेकिन बाद में जादुई क्रियाओं में ये धर्म उलझ गया जिसकी वजह से ये धर्म समाप्त हो गया। चीन के निवासी कन्फ्यूशियस को "राजा फूत्से" कहते थे। इनका जीवनकाल 479 ई.पू. तक माना जाता है। कन्फ्यूशियस का मुख्य उद्देश्य शासन मे बदलाव लाना था। उन्होंने ईश्वर तथा मृत्यु के बारे में कुछ विशेष नहीं कहा है। वहाँ के धर्म प्रचारकों तथा हिंदेशिया के व्यापारियों ने हान राजाओं के समय चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।

चीन की उपलब्धियाँ

चीन की महादीवार जो 2400 किलोमीटर लंबी है ये पश्चिमी चीन के अनेक पहाड़ियों और घाटियों में बनाई गई थी। इसकी ऊँचाई 6 मीटर है। चित्रकला को सुलेख का ही एक भाग समझा जाता था। भाषा और साहित्य के अंतर्गत जिन शासकों ने चीनी लिपि का मानवीकरण किया सरकार ने इसके 3300 चिह्न स्वीकार किए। जापान, कोरिया और वियतनाम की लिपियाँ चीन की लिपि और भाषा से प्रभावित है।


प्राचीन काल में चीनी लोग हड्डियों पर लिखते थे। कुछ ही समय में उन्होंने रेशमी कपड़े पर ऊँट के बालों की कूची से लिखना शुरू किया। पहली शताब्दी ईस्वी में कागज का आविष्कार हुआ और ये विश्व को चीन की महान देन थी। "स्मू-मा च्यन" का नाम चीन के प्रथम इतिहासकार के रूप में जाना जाता है।

विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियाँ

विज्ञान के क्षेत्र में चीनियों की सबसे बड़ी उपलब्धि नहर बनाना था। तारों और ‌नक्षत्रों के समूहों की सूचियाँ भी इनके द्वारा बनाई गई थी। गणित में चीनी लोग दशमलव का प्रयोग करना जानते थे लेकिन काफी समय तक उन्हें शून्य का ज्ञान नहीं था। इन्होंने भूकंप विज्ञान का भी विकास किया। वहीं दूसरी शताब्दी में चीनियों ने भूकंप लेखी यंत्र का भी आविष्कार किया।

Post a Comment

और नया पुराने