क्यों विलुप्त हो गए चीते??

इस धरती पर एक ऐसा मांसाहारी पशु है जो भारत में पूर्ण रूप से विलुप्त घोषित हो चुका है। इसका मुख्य कारण शिकार को माना जाता है। बताया जाता है कि उत्तर कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने भारत की आजादी के बाद साल 1947 में भारत देश में मौजूद अंतिम तीन चीतों की हत्या कर दी थी और वर्ष 1952 में पूरी तरह भारत सरकार द्वारा चीतों को विलुप्त होने की घोषणा कर दी गई। 


एक समय वो भी था जब चीतों की गड़गड़ाहट अन्य देशों में गूँजती थी। चीता अफ्रीका और मध्य ईरान के मूल निवासी माने जाते हैं। चीता जो शब्द है उसे संस्कृत के चित्रक शब्द से अलंकृत किया गया है जिसका मतलब है - चित्तीदार। नवपाषाण युग के गुफाओं में भी चीतों को चित्रित किया गया है।

"The end of trail" नाम की पुस्तक में ये बताया गया है कि मुगल के बादशाह एवं महान शासक अकबर के पास एक हजार चीते थे। ये पुस्तक दिव्यभानु सिंह द्वारा लिखी गई है जो Bombay Natural History Society के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इस किताब के माध्यम से ये जानकारी भी मिलती है कि अकबर के बेटे जहाँगीर ने इन्हीं चीतों के द्वारा 400 से अधिक हिरन पकड़े थे।

शिकार करने के लिए लोग चीतों को कैद कर के रखते थे और यही चीतों की आबादी कम होने का कारण बना। अंग्रेजों के समय पर चीतों का शिकार न के बराबर होता था लेकिन 20वीं सदी में चीतों की संख्या और भी कम हो गई। राजकुमारों ने चीतों का आयात करना भी शुरू कर दिया और 1918 से 1945 तक कम से कम 200 चीतों का आयात किया जा चुका था। जैसे जैसे चीते विलुप्त होते गए वैसे वैसे उनके शिकार का प्रचलन भी समाप्त होता गया।


साल 1952 में चीतों के संरक्षण के लिए एक सभा बनाई गई। जिसके बाद 1970 में एशियाई शेरों के बदले में एशियाई चीतों को भारत लाने का प्रस्ताव ईरान के शाह के सामने प्रस्तुत किया गया। जुलाई 2022 को नामीबिया के साथ हुए एक समझौते के दौरान 16 सितंबर 2022 को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से आठ चीते भारत लाए गए और 17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री मोदी जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर उन आठ चीतों को हेलीकॉप्टर के जरिए कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया।


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